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  मैकबेथ भाग - 1


यह कहानी हमे बताती है की एक बहादुर वजीर राज्य के लालच मै अपने दोस्त तथा अपने राजा की हत्या कर देता है          


इस कहानी को हम लोग दो भाग मे लायेगें
तो कहानी को शुरू करते है ।

प्राचीन काल की बात है। स्कॉटलंड देश में दकन नाम का एक राजा राज्य करता था। उसका एक वजीर था, जिसका नाम था मैकबेथा वह बहुत साहसी, वीर तथा पराक्रमी था इसलए राजा उससे बहुत खुश रहता था। उसकी वीरता और पराक्रम से प्रसन्न होकर राजा ने उसे ग्लेमिस की जागीर का अमात्य बना दिया था।  इस कारण प्रजा उसे ग्लेमिस का अमात्य कहकर ही पुकारती थी। 

    कुछ लोग उसेे अमात्य मैकबेथ भी कहते थे। एक बार अमात्य मैकबेथ कसी बड़ी लड़ाई पर गया  था। कसी राजा ने उसके नगर पर चढ़ाई कर दी थी। कॉटलड के नरेश ने युदध का पूरा संचालन मैकबेथ को ही सपा था। इससे पूव भी वह कतनी ही लड़ाइयां जीत चुका था। राजा को उस पर पूरा यकीन था।

  युद्ध का अंजाम तो अनिश्चित था। दोनों विरोधी सेनाएं शक्तिशाली थीं और आमने-सामने डटी हुई थीं। घमासान युद्ध चल रहा था। वे एक दूसरे पर आधिपत्य जमाने के प्रयास में लगी हुई थी और एक दूसरे की शक्ति को क्षीण कर रही थीं। जैसे दो थके हुए तैराक एक दूसरे को पकड़ लेते हैं और फिर एक दूसरे की तैरने की क्षमता को नष्ट कर देते हैं। शत्रु की सेनाओं को देखकर ऐसा प्रतीत होता था कि युद्ध में विजय उनकी होगी क्योंकि भाग्य की देवी प्रेयसी की भांति ठनका साथ दे रही थी, लेकिन अपने भाग्य एवं बहादुरी से मैकबेथ का सामना कर पाना उनके लिए काफी मुश्किल था।

  मैकबेथ एक बहादुर योद्धा था। वह इस उपाधि के लिए पूर्णतया योग्य था। मैकबेथ ने भाग्य को चुनौती दी तथा ठसका अपमान किया। अपनी खून से लथपथ तलवार को घुमाते हुए उसने युद्ध के मैदान में से अपना मार्ग बना लिया तथा अपने विद्रोही शत्रु आमने सामने जा मिला। उसने अपने दुश्मन से हाथ भी नहीं मिलाया और न ही उसे आखिरी विदाई दी, जिसकी वीरों से साधारणतया आशा की जाती है। उसने तुरंत ही अपने दुश्मन के शरीर को सिर से पेट तक चीर डाला और उसका सिर धड़ से अलग से कर दिया। उसने अपने बैरी के कटे हुए सिर को किले की दीवार पर टांग दिया ताकि उसे देखकर दुश्मन की सेना में आतंक छा जाए।

   जब अमात्य मैकबेथ उस बड़ी लड़ाई को जीतकर लौट रहा था तो मार्ग में एक  सुन सान रास्ता था, जो देखने में काफी भयानक और डरावना लगता था। वहां पहुंच कर  मैकबेथ ने अपनी सेना को हुक्म दिया कि रात होने से पहले वे उस मैदान को पार कर लें तो अच्छा ही रहेगा। सभी ने उसकी हां में हां मिलाई, वह स्वयं अपने एक सेनापति बैंको के साथ घूमता हुआ मैदान को पार करना चाहता था। सूर्य तेजी से पहाड़ियों की आड़ में जा रहा था। धरि-धीर शाम होने लगी थी। हर पल वातावरण में अंधकार बढ़ता ही जा रहा था। जैसे-जैसे सूर्य छिपता जाता था, वैसे-वैसे मैकबेथ के हृदय की धड़कनें भी तेज होती जा रही थीं। कुछ देर बाद ही सूर्य पूरी तरह पहाड़ियों की ओट में जा छिपा। चांद निकलने में अब कुछ ही देर बाकी रह गई थी परंतु मैकबेथ अपने दिल की धड़कनों को वश में करता हुआ आगे बढ़ता रहा।

     अचानक ही मैकबेथ को अपने आगे-आगे किसी के फुसफुसाने की आवाज सुनाई पड़ी। मैकबेथ ने नजरें उठाकर देखा तो हैरान रह गया। उसकी सांस ऊपर की ऊपर तथा  नीचे की नीचे ही रह गई।
वह यह जानने की चेष्टा करने लगा कि यह आवाज कहां से आ रही है। कुछ दूर चलने पर उसे तीन जादूगरनियां दिखाई दीं, जो आपस में बैठी हुई बातें कर रही थीं। मैकबेथ ने दूर से ही उनकी बातों को सुनने की चेष्टा की, जो कि काफी जोर-जोर से वार्तालाप कर रही थीं।

   उनमें से पहली जादूगरनी ने दूसरी जादूगरनी से कहा- "बहन! अब तक तुम कहां थीं?
   दूसरी ने उत्तर दिया- "मैं सूअरों को मारने में लगी हुई थी।"
   तीसरी जादूगरनी ने पूछा- "बहन! तुम कहां थीं?"
   पहली जादूगरनी ने जवाब दिया--''मैंने एक मल्लाह की पत्नी को देखा। वह बहुत लोभ के साथ अपनी गोद में रखे हुए अखरोट खा रही थी तथा खाते हुए'चपर-चपर' की आवाज भी करती जा रही थी। मैंने भी उससे थोड़े अखरोट मांगे,मगर उस मोटी औरत ने मुझे यह कहकर भगा दिया कि तू पिशाचिनी है, चल भाग यहां से। उसका पति अलप्पो की समुद्री यात्रा के लिए जहाज पर सवार होकर गया हुआ है वहां मैं झरने में बैठकर पहुंच जाऊंगी और बिना पूंछ के चूहे समान जहाज की तली में छेद कर दूंगी, ताकि वह समुद्र में डूब जाए।
   
   दूसरी जादूगरनी बोली- मैं अनुकूल वायु से तुम्हारी मदद करूंगी।
   पहली जादूगरनी ने शीघ्रता से कहा- "धन्यवाद ! फिर तो तुम्हारी मेरे ऊपर अत्यंत कृपा होगी।"
    तीसरी जादूगरनी बोली- "दूसरी सभी हवाएं मेरे शासन में हैं। मैं उन बंदरगाहों तथा दिशाओं पर भी शासन करती हूं, जिन्हें मल्लाह के कुतुबनुमा में अंकित किया जाता है। मैं उसका सारा रक्त निचोड़ लूंगी और उसे घास के समान सुखा दूंगी। में रात-दिन उसके नेत्रों से नींद छीन लूंगी। वह एक अभिशप्त व्यक्ति की तरह जीवन गुजारेगा। वह धीरे-धीरे 81 हफ्तों तक सूखता ही चला जाएगा। उसका जहाज डूबेगा तो नहीं, परंतु वह भयंकर तूफानों से नष्ट
होगा। देखो मेरे पास क्या है!
"पहले मुझे देखने दो।" दूसरी जादूगरनी बोली।
पहली जादूगरनी बोली- मेरे पास एक जहाज चालक का अंगूठा है, जो जाते वक्त समुद्री यात्रा पर नष्ट हो गया था।"
    "तभी एक ढोल बजने का स्वर उनके कानों में पड़ता है। उसकी आवाज सुनते ही
तीसरी जादूगरनी कहने लगी- "मैं ढोल की आवाज को सुन रही हूं। इससे साफ जाहिर है कि मैकबेथ युद्ध से लौट रहा है।"
तीनों जादूगरनियां एक साथ कहने लगीं- "हम तीन जादूगरनियां हैं, हम पृथ्वी तथा आकाश पर घूमती हैं। हमारे पास जादू की शक्तियां हैं। हम एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नाचती हैं। हम हर ओर, हर दिशा में तीन दफा
नाचती हैं ताकि नौ घेरे बना सकें। अब हमें रुक जाना चाहिए। हमारी जादुई शक्तियां अपना असर दिखाने लगी हैं।"

      तभी मैकबेथ ने बैंको की तरफ देखा- "मैंने इतना अच्छा और बुरा, इतना चमकीला तथा इतना अंधकारपूर्ण मौसम पहले कभी नहीं देखा है।'' उसने कहा। "यहां से फारेस कितनी दूरी पर है? ये आकृतियां कौन हैं? ये तो विचित्र-सी पोशाक पहने हुए हैं। ये हमारी जमीन की निवासी नहीं जान पड़ती हैं। ये फिर भी हमारी
जमीन पर चल रही हैं। "बैंको बोला "

    तभी वे तीनों जादूगरनियां उनके मार्ग में आकर खड़ी हो गईं। वे इस संसार के प्राणी नहीं लगती थीं। झुर्रियोंदार हल्दी के समान पीले चेहरे, भीतर की ओर धंसी हुईं आंखें, पिचके हुए गाल तथा मांसविहीन,अस्थि-पंजर जैसा शरीर। उनके जिस्म पर कफन जैसे लबादे थे, जो बदन पर झूल रहे थे। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो तीन मुर्दे कब्रफाड़कर बाहर निकल आए हों। 

     उनका रूप डरावना और चाल स्त्रियों जैसी थी किंतु ठोड़ी पर लटकती लंबी दाढ़ी बता रही थी कि वे तीनों मर्द हैं। इन डरावनी आकृतियों को देखकर मैकबेथ अभी चिल्लाना ही चाहता था कि एक छाया ने अपनी सूखी लकड़ी जैसी उंगली होंठों पर रखकर उसे खामोश रहने का इशारा किया।

    मैकबेथचीखा तो नहीं, लेकिन हैरान नजरों से उनकी ओर देखने लगा और हिम्मत करके बोला-"क्या
तुम हकीकत में जीवधारी हो? क्या तुम मनुष्य के प्रश्नों का उत्तर दे सकती हो? मुझे ऐसा लगता है कि तुम मेरे अलफाजों को समझ रही हो क्योंकि तुम अपनी पतली तथा मुड़ी हुई उंगलियों को अपने होंठों पर रख रही हो।
तुम लगती तो औरतों जैसी हो परंतु तुम्हारे दाढ़ी हैं, इसलिए मैं तुम्हें औरत नहीं मान सकता। यदि तुम बोल सकती हो तो तुम हमें बताओ कि तुम कौन हो?'' उसने हैरानी से पूछा। "ग्लेमिस के अमात्य मैकबेथ!

     फिर एक छाया फुसफुसाती आवाज में बोली- डरो नहीं।" 
      तभी दूसरी जादूगरनी ने कहा- हम तुम्हारा स्वागत करती हैं। कॉडर के स्वामी मैकबेथ, तुम्हारा स्वागत करती हैं।

     तीसरी जादूगरनी ने भी कहा-स्कॉटलैंड के भावी सम्राट मैकबेथ ! हम तुम्हारा तहे दिल से स्वागत करती हैं।
    छाया  के मुख से अपनी जागीर और अपना नाम सुनकर अमात्य चौंक गया। उसे चौंकते देखकर छाया फिर बोली- "चौंको मत मैकबेथ! हम तुम्हें बहुत पहले से और अच्छी तरह जानती हैं।"
      "बहुत पहले से?'' मैकबेथ और अधिक आश्चर्यचकित हुआ।
       "हां, हम तुम्हारे भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों कालों की जानकारी रखती हैं और तुम्हें बताने आई हैं कि कल तुम क्या बनने वाले हो।'' रहस्यमयी मुद्रा में पहली छाया ने कहा।
       "क्या बनने वाला हूं?'' उतावलेपन और आश्चर्यचकित होकर मैकबेथ ने पूछा।
इस बार जवाब दूसरी जादूगरनी ने दिया--"कॉडर की जागीर का अमात्य और कुछ वक्त बाद स्कॉटलैंड के राजसिंहासन का अधिकारी।"
       "क्या कहा?' बुरी प्रकार चौंका मैकबेथ-''सिंहासन का अधिकारी?" 
        "क्यों?" छाया ने पूछा- "क्या तुम उन्नति करना नहीं चाहते?"
       "उन्नति करना कौन नहीं चाहता। वीर तो जीते ही उन्नति के लिए हैं।" उसने कहा।
        दूसरी जादूगरनी बोली- 'तो तुम्हारी यह ख्वाहिश पूरी होगी।"
       "मगर मुझे इस बात का विश्वास नहीं होता।" मैकबेथ ने कहा।
       "इसकी वजह?" उसी छाया ने पूछा।
        "इसकी वजह है सम्राट दंकन के दो बेटे यानी इस राज्य के दो राजकुमार जिंदा हैं। उनके होते हुए मैं सिंहासन का अधिकारी कैसे बन सकता हूं?'' मैकबेथ ने अविश्वास प्रकट किया।
     अब तीसरी छाया बोली-" भविष्य के हाथ में काफी कुछ है मैकबेथ! तुम राजा जरूर बनोगे। किंतु...."
        राजा बनने का इतना पुख्ता आश्वासन पाकर अमात्य का मुख खिल उठा, किंतु शब्द सुनते ही उसका दिल तेजी से धड़का और उसने उतावले होकर पूछा- "लेकिन क्या?"
 "किंतु...। तुम्हारे पश्चात बैंको की संतान राज्य की अधिकारी बनेगी।"
" क्या?'' मैकबेथ बुरी प्रकार चौंका- "बैंको की संतान?"
उसकी स्थिति देखकर तीनों छायाओं ने जोरदार ठहाका लगाया और यह गीत गाती हुई गायब हो गई-
'राज्य करोगे. ...नहीं करोगे,
शाह बनोगे.. नहीं बनोगे।
निश्चय ही संतान तुम्हारी,
नहीं राज्य की है अधिकारी।'

छायाओं की इस बेतुकी तुकबंदी का अर्थ मैकबेथ की समझ में बिल्कुल नहीं आया। उसने आश्चर्य से बैंको की तरफ देखकर पूछा--"यह सब क्या है बैंको?"
"यह सत्य है।" बैंको ने कहा।
"यह कोई ख्वाब तो नहीं?"
"नहीं, बल्कि आने वाले कल की सत्यता है।"
     मैकबेथ ने हैरान होकर परेशान से लहजे में पूछा- "आखिर ये छायाएं थीं कौन?"
    भविष्य की छायाएं। जैसे पानी बुलबुलों को पैदा करता है, वैसे ही पृथ्वी भी प्रेत छाया को पैदा करती है। ये आकृतियां भी उसी प्रकार की छायाएं थीं।" बैंको ने उत्तर दिया।
"ये सब कहां छिप गईं?'' मैकबेथ ने पूछा।
"ये सब हवा में छिप गईं। वे अभी जिस्म के साथ दिखाई दे रही थीं मगर अब कुछ भी नहीं रहा है।'' बैंको ने जवाब दिया।
"मैं चाहता हूं कि कुछ देर और ठहरती व मेरी जिज्ञासा को शांत करतीं।" मैकबेथ बोला।
    'क्या ये जादूगरनियां वही थीं, जिनके बारे में हम बातें कर रहे हैं अथवा हम लोगों ने उन बूटियों को खा लिया है, जो इंसान को पागल बना देती हैं तथा मनुष्य की बुद्धिको समाप्त कर देती हैं? बैंको ने पूछा।

मैकबेथ ने उसकी तरफ देखते हुए कहा- "तुम्हारे बच्चे राजा बनेंगे।"
"तुम स्वयं भी तो राजा बनोगे।" बैंको ने उसकी ओर देखा।
अब मैकबेथ ने हैरान होकर पूछा-"क्या मैं आने वाले वक्त में कॉडर का अमात्य बनूंगा?"
"नहीं...." मैकबेथ ने कहा- "इसका निर्णय मेरी तलवार करेगी। वीर भाग्य के भरोसे नहीं जिया करते। उनके लिए एक इशारा ही काफी होता है और वह संकेत आज मुझे मिल चुका है।"
     तभी मैकबेथ की दृष्टि सामने से आते हुए दो व्यक्तियों पर पड़ी, जो उसी ओर आ रहे थे।
"ये लोग कौन हैं?" मैकबेथ ने उनकी तरफ देखते हुए पूछा। वह लगातार उनकी तरफ देख रहा था।

    "अरे ये तो रौस और एंगस हैं।" बैंको उन्हें पहचानते हुए कहने लगा।
रौस करीब आते हुए बोला- "मैकबेथ! राजा तुम्हारी कामयाबी सुनकर बहुतखुश हुए। तुम्हारे साहसिक कारनामों को सुनकर वे आश्चर्यचकित रह गए। वे खुलदिल से तुम्हारी वीरता की तारीफ करना चाहते हैं। तुम्हारी आश्चर्य और प्रशंसा के संघर्ष में नृप खो गया, निस्तब्ध रह गया, मानसिक द्वंद्व की इस हालत में उसने युद्धभूमि में तुम्हारी वीरता के कार्यों की बड़ी प्रशंसा की है, उसने वहां की एक-एक बात राजा को बताई है। नृप ने राजा को यह भी बता दिया कि तुमने किस तरह शत्रु की सेना में घुसकर घमासान युद्ध किया और मृतक शरीरों के भयानक नजारों से तुम बिल्कुल भी नहीं डरे।

     ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है, जो राजा मेरे विषय में ऐसा सोचते हैं।'' मैकबेथ ने कहा।

"युद्ध के मैदान से संदेशवाहक बड़ी संख्या में और जल्दी-जल्दी आते रहे, जैसे सर्दी के मौसम में बर्फ तथा पाला गिरते रहते हैं। तुमने दंकन की राजधानी को बचाने के लिए युद्धभूमि में जो प्रयास किए, उनकी खबरों ने नृप के कानों को बहरा बना दिया।" उसने बताया।

   तभी एंगस आगे आकर बोला-"हम नृप की तरफ से तुम्हें धन्यवाद देने आए हैं। हमें तुम्हें राजा के सम्मुख ले जाने के लिए भेजा गया है। राजा तुम्हारी वीरता तथा श्रेष्ठ सेवाओं के लिए तुम्हें पुरस्कार देंगे।"
    रौस ने बताया-"राजा ने मुझे हुक्म दिया है कि मैं तुम्हें कॉडर के स्वामी के से संबोधित करूं।"
     "यह बहुत प्रतिष्ठा का पहला चरण है, जिससे तुम्हें भविष्य में सम्मानित किया जाएगा इसलिए मैं नए ओहदे से तुम्हारा अभिनंदन करता हूं क्योंकि तुमने इसे हासिल कर लिया है।"

     बैंको यह सब सुनकर आश्चर्यचकित रह गया। वह मन ही मन सोच रहा था कि जादूगरनियों की पहली भविष्यवाणी तो सच साबित होने जा रही है। उसे उनकी अब सारी बातों पर यकीन होने लगा था।

   मैकबेथ ने उनसे पूछा- -"मैं यह बात अच्छी तरह से जानता हूं कि कॉडर का अधिपति अभी जीवित है और राजा की कृपा का पात्र है। तुम उसका पद मुझे क्यों देना चाहते हो?"

    ऐंगस ने बताया- "इस बात में कोई शक नहीं कि कॉडर का अधिपति अभी जीवित है किंतु वह मृत्युदंड की प्रतीक्षा कर रहा है, जिसके लिए वह उपयुक्त है क्योंकि उसने राजद्रोह जैसा पाप किया है।

    मैं निश्चित रूप से तो नहीं बता सकता कि उसने खुल्लम-खुल्ला नार्वे के राजा के द्रोह को बढ़ावा दिया था या उसने गुप्त रूप से उसके सैनिकों की मदद की थी अथवा इन दोनों तरीकों से हमारे राज्य को नष्ट करने का प्रयास किया था। उसने राजद्रोह को भड़काने का जुर्म स्वीकार कर लिया है। इसी कारण उसका यह दुखद पतन हुआ है।
इतना कहकर उन्होंने जाने की आज्ञा मांगी और अपनी राह ली। मैकबेथ के मस्तिष्क में अब विचारों का तूफान उमड़ रहा था। वह मृत्युदंड का इंतजार कर रहा है।

    इतना कहकर उनहोने जाने की आज्ञा  मांगी और अपनी राह ली।  
    मैकबेथ के मसितक में अब वचार का तूफान उमड़ रहा था। 
    उसने मन ही मन सोचा  -'मैं ग्लेमिस और कॉडर का अधिपति बन चुका हूं भविष्य में हो सकता है कि मेरे राजा बनने की भविष्यवाणी भी सच हो इन्हीं ख्यालों में खोया रहा।
   तभी बैंको ने उसे झिंझोड़ा- 'क्या सोचने लगे मैकबेथ?
   कुछ नहीं! मैं उन भविष्यवाणियों के बारे में सोच रहा था, जिनमें से एक तो सत्य दिखाई दे रही है। उसने कहा।

बैंको ने उसे समझाया कि- "यदि जादूगरनियों की भविष्यवाणियों में इतना अधिक यकीन रखोगे तो तुम निश्चय ही राजा बनने का स्वप्न देखने लगोग, तुमकॉडर के अधिपति बनने ही जा रहे हो। जादूगरनियों की भविष्यवाणी आंशिक रूप से सच हो गई है, लेकिन फिर भी भविष्यवाणियां बहुत ही खतरनाक होती हैं। बुरी आत्माएं अनावश्यक विषयों के बारे में सत्य बताकर हमारा विश्वास प्राप्त कर लेती हैं मगर महत्त्वपूर्ण विषयों में हमें ये धोखा दे देती हैं। वे हमें अपनी तरफ आकर्षित करके हमारे विनाश के रास्ते तैयार करती हैं।"

    उसकी बात सुनकर मैकबेथ बोला--"जादूगरनियों की भविष्यवाणियों के दो सत्य तो मेरे सामने आ चुके हैं। मैं कॉडर और ग्लेमिस का अधिपति बनने जा रहा हूँ। ये मेरे भविष्य में राजा बनने की खबर है।

     जादूगरनियों की भविष्यवाणियां न तो बुरी हो सकती हैं तथा न ही अच्छी। उनकी भविष्यवाणियों के कुछ अंश तो सच प्रमाणित हो चुके हैं। मैं कॉडर का अधिपति बनने जा रहा हूं।वे अच्छी भी नहीं हो सकती क्योंकि उन्होंने मेरे अंदर लालच पैदा कर दिया है, जिसकी कल्पना मुझे रोमांचित कर रही है तथा मेरे हृदय की धड़कनों को तेज कर
देती है। मेरे दिल में डर की भावना को जगा देती है, जो मेरी बहादुर प्रकृति के सर्वथा विपरीत है।

    काल्पनिक भय वास्तविक भय से कहीं ज्यादा भयानक होते हैं। दंकन के वध का अपराध, जो अभी केवल विचार मात्र है, मेरी सारी मानसिक ताकतों को कुंठित कर रहा है और मेरी कार्यशक्ति को भी समाप्त कर रहा है। मैं अपना मानसिक संतुलन खोता जा रहा हूं। अब मुझे काल्पनिक वस्तुएं ज्यादा प्रतीत हो रही हैं।" 
     उसकी इस तरह की बातों को सुनकर बैंको ने समझाने का प्रयास किया- "देखो, तुम ख्यालों की दुनिया में खोते जा रहे हो।"
"   यदि मेरे भाग्य में राजा बनना है तो मैं जरूर ही राजा बनूंगा। मुझे इसके लिए किसी की सहायता की जरूरत नहीं।" उसका स्वर दृढ़ता से परिपूर्ण था। 
   "मैकबेथ, जितना सम्मान तुम्हें राजा से मिल चुका या और मिलने वाला है, क्या  उतना बहुत नहीं?'' बैंको ने कहा। .   "मुझ पर जो कुछ गुजरना है, उसे गुजर जाने दो, जो होना है, उसे भी हो जाने दो। वक्त सब कुछ ठीक कर देगा। बुरी से बुरी घटनाएं भी समय के साथ गुजर जाती हैं।
   अच्छा सही है। बैंको ने एक लंबी सांस खींचते हुए कहा- "मुझे लगता है कि अब हमें यहां से चलना चाहिए।"
     हां चलो, अब हमें महाराज के समीप भी जल्दी से जल्दी पहुंचना है, इन बातों पर हम फिर विचार करेंगे।
     इसी प्रकार चलते-चलते आधी रात के समय जब मैकबेथ अपनी सेना में पहुंचा तो उसके दिल में जीत की खुशी कम और विचारों की उथल-पुथल अधिक थी। इसी वजह से उसका मन काफी अशांत था।

   भविष्य का ताना-बाना बुनते हुए उसने पूरी रात्रि आंखों ही आंखों में काट दी। 
   सुबह जब वह उठा तो एक सिपाही ने एक बंद लिफाफा लाकर उसके हाथ पर लिफाफे पर स्कॉटलैंड के नरेश की मुहर थी।
मैकबेथ ने कांपते हाथों से लिफाफा खोला तथा भीतर रखा पत्र बाहर निकालकर पढ़ने लगा। उसमें से निकले नीले रंग के एक कागज के ऊपर सुनहरी अक्षरों में लिखा  हुआ था-
            वीर अमात्य मैकबेथ,
साधुवाद सहित अभिवादन!
आपने रणभूमि में जिस अद्भुत पराक्रम से राज्य में उठे हुए विद्रोह को शांत
कर दिया है, उसे आपकी राजभक्ति की पराकाष्ठा मानकर मैंने आपको
प्रजाजनों की राय से खास सम्मान देने का निर्णय किया है। अतः मैं आपको
कॉडर की रियासत को जागीर के रूप में देना चाहता हूं। इस खत के साथ ही
मैं रियासत के अमात्य का पद तथा समस्त अधिकार भी आपको सौंपता हूं।
इसे मंजूर करके आप मुझे और प्रजाजनों को अनुगृहीत करें।
आपका प्रशंसक
दंकन
महाराजाधिराज स्कॉटलैंड प्रदेश
पत्र पढ़कर मैकबेथ ने सेनापति बैंको की ओर बढ़ा दिया। बैंको ने जल्दी-जल्दी वह पत्र पढ़ा तथा बोला-"बधाई हो अमात्य! यह जागीर सौंपकर आपको सम्राट ने आपकी वफादारी का सही सम्मान किया है और इसी खत के साथ भविष्यवाणी का पहला चरण भी सत्य सिद्ध हुआ।

    "हां... परंतु मुझे अब तक शांति नहीं मिली है।" अभिमानपूर्वक मैकबेथ ने कहा--"मुझे तो तभी शांति मिलेगी जब दूसरी भविष्यवाणी सत्य होगी।" 
यह सुनकर बैंको ने मन ही मन कहा-  'तथा मुझे तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक भविष्यवाणी का तीसरा चरण सच सिद्ध न हो जाए और मैं अपनी औलाद को स्कॉटलैंड के राज सिंहासन पर बैठा न देख लूं।'

     दूसरे रोज उनका काफिला राजा के महल की ओर चल पड़ा।वहां पहुंचते ही राजा ने उनका भव्य स्वागत किया।
    प्रसन्नतापूर्वक राजा ने कहा- आओ, मेरे मित्र! मैं तुम्हारी उत्तम सेवाओं के लिए  तुम्हारा धन्यवाद नहीं कर सका, इसलिए मैं बहुत अधिक दुखी रहा। इस बात का तुम अनुमान नहीं लगा सकते।
    तुम्हारी योग्यता इतनी ज्यादा है कि अगर मैं तुम्हें बड़े से बड़ा पुरस्कार भी दे दूं तो भी वह कम ही होगा। मैं तो सोचता हूं कि तुम कुछ कम योग्य होते ताकि मैं तुम्हारी योग्यता के अनुसार पुरस्कार दे पाता तथा तुम्हारा धन्यवाद कर पाता। मैं बस इतना ही बता सकता हूं कि मैं तुम्हें तुम्हारी सेवाओं के बराबर कुछ नहीं दे सकता।
     मैकबेथ ने उनकी बात का जवाब दिया- "आपके प्रति हमारे कर्त्तव्य और सेवाएं ही अपने आप में बड़े इनाम हैं। राजा होने के नाते हमारी सेवाओं को प्राप्त करना आपका विशेषाधिकार है। हमारा यही कर्त्तव्य है कि आपकी आज्ञा का पालन करें तथा आपकी खिदमत करें, जैसा कि एक बच्चे का कर्तव्य अपने माता-पिता के लिए होता है और नौकरों का कर्त्तव्य बनता है कि वे अपने मालिक की आज्ञा का पालन करे। प्रेम और सम्मान की भावना से आपके प्रति वफादार रहना हमारा पुनीत कर्त्तव्य है।
      राजा ने मैकबेथ की बात सुनकर बैंको की तरफ देखते हुए कहा-"हम तुम्हारा भी स्वागत करते हैं बैंको! हमने तुम्हारी महानता का बीज भी बो दिया है। हम यह चाहते हैं कि तुम एक पेड़ के रूप में फलो-फूलो। तुमने भी मैकबेथ की तरह एक महान कार्य किया है। तुम्हारी सेवाओं तथा वफादारी की प्रशंसा करेंगे। तुम यहां पर आओ... मैं तुम्हेंअपने सीने से लगाना चाहता हूं।"

   बैंको उनके सीने से लगते हुए बोला- "महाराज! मैं जो कुछ भी आपकी कृपा से जीवन में हासिल करता हूं, उसका संपूर्ण श्रेय आपको ही होगा। मेरी सभी उपलब्धियां आपकी होंगी।

    "बैंको! मैं इतना अधिक खुश हूं कि मैं स्वयं को अपनी असीमित प्रसन्नता से पीड़ित अनुभव कर रहा हूं। मेरी ज्यादातर प्रसन्नता अश्रुओं के माध्यम से अपने आपको अभिव्यक्त करना चाहती है। पुत्रो, संबंधियो और सामंतो! आप यह जान लें कि मैलकम, जो मेरा बड़ा पुत्र है, मेरा उत्तराधिकारी है, वह अब से कम्बरलैंड का युवराज होगा। इसके साथ उन सब व्यक्तियों को भी सही सम्मान दिया जाएगा, जो कि उसके पात्र होंगे। अब हमें इनवरनैस के लिए प्रस्थान करना है। इससे हमारे संबंध | ज्यादा मजबूत हो जाएंगे।" राजा ने कहा।
 
    राजा की बात सुनकर मैकबेथ बोला- "मेरे लिए विश्राम के पल और भी दुखदायी होंगे अगर मैं उनसे आपकी सेवा नहीं करता हूं। मैं खुद जाकर अपनी पत्नी को यह शुभ समाचार दूंगा कि महाराजाधिराज हमारे किले में पधार रहे हैं। अब मुझे जाने की अनुमति दें।"

   सम्राट ने उन्हें जाने की आज्ञा दे दी।
लौटते समय मैकबेथ के मस्तिष्क में विचारों की उथल-पुथल मची हुई थी। वह मन-ही-मन सोच रहा था-'यदि मैलकम कम्बरलैंड का युवराज बनता है तो यह मेरे रास्ते में एक बड़ी बाधा आ पड़ी है। अगर मैं इस बाधा को अपने मार्ग से हटा देता हूं तो मैं राजा बन जाऊंगा। अगर नहीं हटा पाता तो कुछ भी नहीं बनूंगा। मेरे
हृदय में अत्यंत घृणित, क्रूर काले विचार उठ रहे हैं।'

   जब वह अपने घर पहुंचा तो उसने जादूगरनियों के प्रकट होने से राजा के खत आने तक की पूरी कहानी पत्नी को कह सुनाई। 
   उसकी पत्नी टोने टोटके तथा चमत्कारों के प्रति बड़ी अंधविश्वासी थी। जब उसनेयह सुना कि वह देश की साम्राज्ञी बनने वाली है तो उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा किंतु उसकी मुराद तभी पूरी हो सकती थी जब मैकबेथ स्कॉटलैंड के सिंहासन पर आसीन हो जाए इसलिए उसने उस भविष्यवाणी की आड़ लेकर उसे भड़काना आरंभ कर दिया। यहां तक कि उत्तेजित करने की चेष्टा की कि वह जल्दी से जल्दी सम्राट की हत्या कर दे और सिंहासन पर बैठ जाए, लेकिन मैकबेथ ने सख्ती से उसकी इस सलाह को खारिज कर दिया।
 
   तब उसने उसे कायर और डरपोक कह डाला। न जाने कैसी-कैसी बातें करके उसे भड़काने लगी।
    तभी ठीक उसी वक्त राजा दंकन मैकबेथ को जीत की बधाई देने के लिए खुद उसके किले की ओर रवाना हुए। मैकबेथ ने यह सूचना जाकर अपनी पत्नी को सुनाई।

"मेरी प्यारी पत्नी! आज रात्रि में राजा दंकन हमारे किले में हमारी जीत की बधाई देने खुद पधार रहे हैं।"
पत्नी कुछ सोचते हुए बोली- "वह यहां से कब जाने का इरादा रखते हैं?"
"कल ही न।" मैकबेथ ने कहा।
"तो समझ लो कि वह कल कभी नहीं आएगी, जो कि दंकन यहां से जिंदा वापस जा सके किंतु मैं तुम्हें कुछ कहना चाहती हूं।"
   "क्या? बताओ क्या कहना चाहती हो?" मैकबेथ ने हैरानी से देखा।
   "तुम्हारा मुख एक खुली पुस्तक की तरह है, जहां लोग तुम्हारे दिल की भावनाओं को सरलता से पढ़ सकते हैं। तुम खुले दिल से दंकन का स्वागत करो। तुम्हारे होंठों की मुस्कराहट बरकरार रहनी चाहिए। तुम्हें ऊपर से शांत और संतुलित रहना है।

अब तुम सब कुछ मुझ पर छोड़ दो। मैं सब अच्छी प्रकार संभाल लूंगी। मैंने एक योजना बनाई है। उसी के मुताबिक सारा काम करना है। फिर उसके बाद हम राजा तथा रानी बन जाएंगे। दंकन की मृत्यु हमें महानता तथा शक्ति से भर देगी।" 
"इस विषय में हम बाद में सोचेंगे।" मैकबेथ बोला।

"तुम्हें एक बात का पूरी तरह से ध्यान रखना है। तुम्हारा चेहरा तुम्हारे आंतरिक भावों को कहीं जाहिर न कर दे क्योंकि चेहरे के भावों में तब्दीली केवल डर तथा घबराहट को ही दिखाती है और सब कुछ तुम मेरे ऊपर छोड़ दो। मैं सब कुछ कर लूंगी।" 

सम्राट दंकन के पहुंचते ही मैकबेथ की बीवी ने उनका भव्य स्वागत किया तथा सम्राट से कहा- "सम्राट की जय हो! आपने हमारे परिवार पर महान सम्मानों की वर्षा कर दी है। हमारी सेवाएं, चाहे उन्हें दुगना कर दिया जाए अथवा चौगुना कर दिया  जाए या फिर कई गुना कर दिया जाए, आपके द्वारा दिए गए सम्मानों के सम्मुख नहीं ठहर सकती हैं। 
आपने पहले भी हमारे ऊपर सम्मानों की बारिश की थी और उनको और भी अधिक बढ़ा
दिया है। हम आपके लिए सदैव कृतज्ञ हैं तथा ईश्वर से आपके कल्याण के लिए विनती करते हैं।"

   दंकन ने मुस्कराते हुए कहा-"कॉडर का अधिपति कहां है? हमने उसका पीछा किया ताकि हम उससे पहले ही यहां पहुंच जाएं किंतु वह एक बहुत अच्छा घुड़सवार है। हमारे लिए उसके प्रेम और वफादारी ने उसे भी तेजी से हमारा स्वागत करने वाले घर पहुंचने के लिए प्रोत्साहित किया। सम्मानीय तथा महान-मेजबान, आज हम तुम्हारे
मेहमान हैं।"

   "महाराज, हम और हमारे सेवक व जो कुछ भी हमारे पास है, वह आपका ही है। आप जब भी चाहें, हम उन्हें आपको वापस लौटा सकते हैं। ये सब आप की ही धरोहर है, यह सब कुछ आपका ही है और हम आपके अनुचर हैं।" उसकी पत्नी ने कहा।

सम्राट बोले- "मुझे अब जल्दी से जल्दी मैकबेथ के निकट ले चलो। हम उस पर और अधिक सम्मानों की बरसात करना चाहते हैं।"

  "वे आपके सम्मुख अभी नहीं आ सकते।"
  "वे क्यों?"
  "क्योंकि वे किसी आवश्यक काम में लगे हुए हैं। वे आपसे बाद में आकर मिलेंगे, तब तक आप कुछ जलपान करके थोड़ा आराम कर लीजिए।" मैकबेथ की पत्नी विनम्रता से कहने लगी।
   "ठीक है चलो
    मैकबेथ की पत्नी ने हृदय खोलकर राजा का स्वागत किया। राजा को प्रसन्न करने के लिए उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि मैकबेथ की पत्नी ने खुद अपने हाथों से राजा को खाना खिलाया।
   राजा के अंगरक्षकों तक को अपने हाथों से शराब पिलाई। आधी रात्रि गुजर गई। खा-पीकर सब गहरी नींद सो गए। लेकिन मैकबेथ की पत्नी की आंखों में नींद नहीं थी। थोड़ा समय गुजरने के पश्चात वह एक नंगी तलवार लेकर अपने पति के पास जा पहुंची और बोली- "उठो, यही अवसर है, जो तुम्हें सम्राट बना सकता है। इसी समय यह तलवार लेकर जाओ और राजा का सिर धड़ से अलग कर दो।"
   "यह सब इतना सरल नहीं है। पहले मेरे सवालों का उत्तर दो।" उसने झल्लाकर कहा।
"क्या पूछना चाह रहे हो?"
"अब वे लोग क्या कर रहे हैं?" उसने पूछा।  
 
    उन्होंने अपना शाम का खाना लगभग खत्म कर लिया है और तुम कमरे से बाहर क्यों आ गए? उसने हैरानी से मैकबेथ को देखा।
     मैकबेथ ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए प्रश्न किया--"क्या उन्होंने मेरे बारे में पूछा था?"
    
क्या तुम नहीं जानते कि उन्होंने तुम्हें पुकारा भी था?" उसकी पत्नी ने उसे याद दिलाया।

वह कुछ सोचते हुए एक लंबी सांस भरकर कहने लगा-"मैं एक बात सोच रहा था।"
"क्या? मुझे बताओ शीघ्र।"
"अब हमें सम्राट की हत्या जैसे खतरनाक काम को टाल देना चाहिए। उसने अभी तो मुझ पर सम्मानों की बरसात ही की है। मैंने सुंदर जनमत अर्जित किया है। मैं उस पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाना चाहता हूं। मैं सुनहरे जनमत को सम्राट की हत्या करके खोना नहीं चाहता।
     उसकी पत्नी क्रोधित होते हुए बोली- 'क्या तुम उस वक्त नशे में चूर थे, जब तुमने मुझे राजा बनने की ख्वाहिश को बताया था? क्या इस बीच तुम्हारी इच्छा सो गई थी? क्या यह, अब नशा उतरे हुए आदमी के समान पीली पड़ गई? मैं भविष्य में तुम्हारे प्रेम पर भरोसा नहीं कर सकूँगी क्योंकि तुम्हारी इच्छा की तरह यह भी अस्थिर है। क्या तुम उस काम को करने से डरते हो, जिसकी इच्छा तुम्हारे हृदय में जाग्रत है? तुम जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि पाना चाहते हो, किंतु अपने मन से कायर की भांति रहे हो।
    क्योंकि तुम्हारे पास अपनी ख्वाहिश को पूरा करने का साहस नहीं है। तुम उस बिल्ली की तरह हो, जो मछली तो खाना चाहती थी, लेकिन पैरों को नहीं भिगोना चाहती थी।
कृपया इस बारे में मुझसे बात मत करो। मैं वह सब कर सकता हूं, जो कि एक मनुष्य के लिए है। जो इससे अधिक कर सकता है, वह वास्तव में इंसान नहीं है।" उसने समझाया।
    क्या तुम जंगली पशु थे जब तुमने दंकन की हत्या का मुझे सुझाव दिया था?" वह चिल्लाई-
"तब तुम वास्तव में इंसान थे, मगर अब तुम सम्राट की हत्या करके मनुष्य से ज्यादा बन जाओगे। जब तुमने सम्राट की हत्या की योजना बनाई थी तब वक्त तुम्हारे अनुकूल नहीं था परंतु आज समय तुम्हारे अनुकूल है। तुम अपना निश्चय बदल रहे हो। तुम अवसर गंवा रहे हो। मैंने बच्चों को दूध पिलाया है। मैं जानती हूं कि मां अपने दूध पीते बच्चे को कितना प्रेम करती है।
    मैं छाती से उस नन्हे-से बच्चे को खींचकर उसके दिमाग को टकरा देती, यदि वह मेरी तरफ मुस्करा भी रहा होता, यदि मैंने ऐसी कोई प्रतिज्ञा की होती जैसे कि तुमने की थी।
   "यद हम अपने काम में  कामयाब नहीं  हुए तो?'' उसने अपनी पत्नी  पर नजर डाली। '
   
   अपने काम में कामयाबी न मिलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। तुम हिम्मत से काम लो, अपने निशचय को  दृढ़ रखो। महराज दिनभर का थका हु आ है तथा सारे दिन के थकान के कारण वह गहरी नींद सो जाएगा। मने उसके अंगरक्षको को भी बुरी तरह शराब के नशे म चूर किया हुआ है। वे बेहोश हो चुके हगे तथा अपनी स्मृति तथा शक्ति को खो बैठगे। जब दंकन के अंगरक्षक नशे क नींद मे सो रहे हगे तब हम राजा कि हत्या कर सकते हैं। बाद मे राजा क हया का आरोप किसी और पर थोप दगे।" उसक पत्नी ने सलाह दी।

    "तुम केवल पुत्रों को ही जन्म दो क्योंकि तुहारा साहस अदम्य है और तुम निभीक हो। कया लोग इस बात पर यकीन करेंगे की अंगरक्षक ने ही राजा कि हत्या की है?" वह बोला। 

   "इसम कोई संदेह नहीं है। हम महराज के मृत्यु पर अपने शोक का बात अधिक करगे। कोई भी हमारे पर शक नहीं करेगा।
   मैकबेथ तो शुरू  से ही इस बात के खिलाफ था, बोला- "यदि वहां राजा के अंगरक्षक आ गए तो?
  उनकी बिलकुल फिकर  मत करो, मैंने उनका पर्बंध अच्छी तरह कर दिया है।" कठोर लहजे मे पत्नी बोली- "वे सब शराब के नशे मे धुत्त पड़े होंगे। वे सब नशे मे चूर होंगे।

     मगर मेरे होश ठिकाने नहीं हैं। कांपते स्वर मै मैकबेथ ने कहा मुझमे इतनी हिम्मत नहीं की जिस राजा के लिए मैने विद्रोह का दमन कया है, अब उसी के विरुदध विद्रोह पर उतर आऊं ।
    तो लाओ यह तलवार मुझे दो। मैं अपने हाथो से राजा का सर कलम करके अपने रानी बनने का रास्ता साफ कंरूगी।'' कड़ककर और कठोरतापूण स्वर मैं पत्नी बोली-"तुहारे दिल में राजा बनने क चाह भले ही न हो, मगर मे रानी  बनकर रंहुगी। उन जादूगरनियों की यह भविष्यवाणियां झूठ नहीं हो सकती। 
     और जैसे ही वह तलवार लेकर चली कि मैकबेथ का सोया हुआ अभिमान जाग गया।

   वह लपककर उठा तथा झपटकर पत्नी के हाथ से तलवार छीन ली। फिर अकेला ही राजा के कमरे क तरफ बढ़ गया। 
  चारो तरफ सनाटा छाया हुआ था।
 लेकन मैकबेथ के मन म उथल-पुथल मची ई थी। 
  वह महराज के कमरे कि ओर बढ़ना ही चाहता था परंतु तभी उसे याद आया। उसने सोचा बैंको चालाक  है, पहले मुझे उसका निरीक्षण कर लेना चाहिए कि वह सो गया है अथवा जाग रहा है। 
   

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