विलियम शेक्सपीयर की रचनाएं हिन्दी में - मैकबेथ (Macbeth) part -2
कहानी का पहला भाग
विलियम शेक्सपीयर की रचना हिन्दी में - मैकबेथ (Macbeth) part - 1तो कहानी को शुरू करते है ।
मैकबेथ ने अपने दिल में पूरा इरादा कर लिया था कि मैं हर प्रयास करूंगा और अपने रास्ते के कांटे को साफ करके ही रहूंगा।
जैसे ही मैकबेथ ने बैंको के कमरे में प्रवेश किया तो वह चौंक पड़ा क्योंकि बैंको अभी तक जाग रहा था, वह हैरानी से मैकबेथ की ओर ही देख रहा था।
" आश्चर्य है मेकबेथ कि तुम अभी तक सोए भी नहीं। राजा तो ये कब के सोने जा हैं।'' बेंको बोला।
हां... में यहां राजा को ही देखने आया था कि सो गए अथवा नहीं।'” उसने बहाना बनाया।
"वे बहुत खुश हैं और उन्होंने आपके नौकरों को उपहार बंटि हैं। उनका कहना है कि आपकी पत्नी ने उनकी बहुत मेहमाननवाजी की है। राजा ने उनके लिए यह हीरा भेजा है तथा आज उन्हें असीमित संतोष की नींद आई है।'
उसकी बात सुनकर मैकबेथ कहने लगा----'' राजा को अपने यहां आमंत्रित करने के लिए अभी हम तैयार नहीं थे। इस कारण उनकी आवभगत करने की हमारी ख्वाहिश बहुत-सी कमियों के अधीन हो गई। यदि हमें दंकन के आने की सूचना पहले ही मिल चुकी होती तो हम संपूर्ण तरीके से उनका आदर-सत्कार तथा मनोरंजन कर पाते।
सब उचित तो है।
'' बैंको ने तसलली दी---''पिछली रात सपने में मैंने तीनों जादूगरनियों को देखा। आपके विषय में तो वह सत्य भविष्यवाणी कर चुकी हैं और शायद वह सच हो ही जाए।
“मैंने अभी उनके बारे में सोचा नहीं।'' उसने एक गहरी सांस खींची---.' फिर भी जब हमें खाली वक्त मिलेगा तो इस बारे में विचार-विमर्श करेंगे। अगर तुम भी वक्त निकाल सको तो अच्छा रहेगा।!
“में तुम्हारी बात से सहमत हूं।'' उसने कहा।
मुलाकात के वक्त यदि तुम मुझसे मेरी योजना से सहमत हुए तो यह तुम्हारे लिए लाभकारी होगा।”” उसने कहा।
मैं तुम्हारी योजना से सहमत हो जाऊंगा अगर वह मेरे सम्मान के लिए घातक नहीं, मेर दिल स्वतंत्र रहे और स्वामिभक्ति पर आंच न आए।'' मैकबेथ के सुझाव में बैंको को किसी षड़्यंत्र का अहसास होने लगा था।
“अच्छा ठीक है, तुम विश्राम करो, रात काफी हो चुकी है।'' मैकबेथ ने उसे सलाह दी और वह राजा के कमरे की ओर बढ़ गया। उसके जाने के बाद बैंको भी सोने की तैयारी करने लगा।
जैसे ही उसने सम्राट के कमरे में कदम रखा, वैसे ही बुरी तरह चौंक पड़ा। उसे भेधर में लटकी एक दूसरी तलवार दिखाई दी। जो रक्त से सनी हुई थी। उसकी नोक सकी तरफ ही उठी हुई थी। मेकबेथ ने उसे पकड़ना चाहा, लेकिन उसका हाथ हवा में लहराकर वापस आ गया। दरअसल, यह सिर्फ उसके मन का वहम था।
यह बात समझ में आते ही उसे अपनी कायरता पर गुस्सा आया। फिर उसने आगे बढ़कर एक ही झटके के साथ राजा का सिर धड़ से अलग कर दिया। राजा के जिस्म से हर के फव्वारे उबल पड़े। उसे देखकर मैकबेथ ने ज्यों ही वहां से भागने की चेष्टा की, वैसे ही उसे ऐसा प्रतीत हुआ मानो कमरे की एक-एक ईंट पुकार-पुकारकर कह रही हो--
जागो सोने वालो जागो, भागो, भागो, भागो,
भागों खूनी वलवोारें हैं जागी, अपने आज बने हैं बागी।
लुटी जा रही निंदिया अभागी
निंदिया त्यागो, निंदिया त्यागो,
भागो, भागो, भागो, भागो।
यह कुछ नहीं था, सिर्फ मैकबेथ के हृदय की चेतना उस पर व्यंग्य प्रहार कर रही थी। उसे धिक््कार रही थी।
मैकबेथ से यह झिंझोड़ देने वाला शोर सुना नहीं गया। घबराकर उसने अपने दोनों हाथ कानों पर रख लिए। फिर वहां से भागा तथा अपने कक्ष में लिहाफ में जाकर दुबक गया।
उसकी पत्नी ने उसे इस कामयाबी के लिए बधाई दी तथा उसकी पीठ थपथपाई। फिर उसकी रक्त से सनी तलवार ले जाकर एक अंगरक्षक के पास रख आई। राजा का कुछ रक्त अंगरक्षक के हाथों पर लगाया और कुछ उसके कपड़ों पर लगा दिया।
वापस आकर उसने मैकबेथ को देखा, उसका मुंह पसीने से तर हो रहा था ओर डर की रेखाएं उसके चेहरे पर विद्यमान थीं।
“क्या हुआ, आप इतना घबराए हुए क्यों हैं?'” उसकी पत्नी ने मैकबेथ को अचंभे से देखते हुए पूछा।
“मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोई चिललाकर कह रहा हो कि अब इस संसार में नींद नहीं होगी क्योंकि मैकबेथ ने उसका खून कर दिया है।'' वह घबराए हुए स्वर में बोला---''नींद तो हमेशा स्वच्छ और निर्दोष होती है। वह चिंताओं के उलझे धागे को सुलझा देती है, दिन-भर की फिक्र और थकान को दूर कर देती है। हमें आराम पहुंचाती है।
“तुम कहना क्या चाहते हो ?
वह आवाज चिल्ला-चिल्लाकर घर के सब लोगों से कह रही है कि नींद अब॑ नहीं रही। उसने घोषणा की कि ग्लेमिस के अमात्य ने निद्रा की हत्या कर दी है। अतः मैकबेथ अब कभी जीवन में चेन की नींद सो न सकेगा।
“इस तरह कौन चिल्ला सकता है। जो कुछ हुआ उसके बारे में अब तुम ज्यादा न॑ सोचो। तुम्हारे हाथ पर लगा हुआ ये खून कत्ल का प्रमाण हो सकता है इसलिए जाओ, पानी से अपना हाथ साफ कर लो।'' उसकी पत्नी ने मेकबेथ को तसल्ली दी।
उसके पश्चात पत्नी ने मैकबेथ को समझा-बुझाकर सोने के लिए भेज दिया और स्वयं भी आराम की नींद सो गई। सुबह-सवेरे ही द्वारा खटखटाने की आवाज मैकबेथ के कानों में पड़ी तो वह घ्रबशकर उठ बैठा वह अपनी पत्नी की ओर देखता है, जो कि जाग चुकी थी।
“इतनी सुबह कौन आ सकता है?!!
“पता नहीं।'
“में देखता हूं।'' कहते हुए उसने द्वार खोला। सामने एक सैनिक को देखकर पूछता है--' क्या बात है?''
“क्या राजा बिस्तर से उठ चुके हैं!”' उसने पूछा।
“ अभी तो नहीं।' ' मैकबेथ ने लापरवाही से कहा।
सैनिक बोला----'' उन्होंने मुझे सुबह जल्दी आने की आज्ञा दी थी।दिया गया वक्त तो लगभग निकल चुका है।'' “ठीक है, तुम रुको, में तुम्हें अभी वहां लेकर चल रहा हूं।'' कहते हुए उसने वापस आकर अपना चोगा उठाया।
“में जानता हूं कि यह आपके लिए प्रसन्नता का मौका होते हुए भी असुविधा का अवसर भी है, लेकिन आपके लिए कष्ट तो है ही।'' सैनिक ने कहा।
“जो परिश्रम खुशी से किया जाए, वह दुख नहीं देता।'” कहते हुए उसने राजा के दरवाजे की तरफ इशारा किया---' यही है राजा का कक्ष।
' “मैं यहीं से उनको आवाज देता हूं।'” उसने कहा----'' क्या आज ही राजा का जाने का इरादा है?!
“हूं, उन्होंने ऐसा ही कुछ कहा था।'' मैकबेथ ने कहा।
इसके पश्चात मैकबेथ वापस लोट आया, मगर थोड़ी देर बाद ही वहां हाहाकार मच गया। हर व्यक्ति की जुबान पर राजा की हत्या की ही चर्चा थी। चारों तरफ हड़कंप मचा हुआ था।
और अंत में सभी का एक ही फैसला था कि मैकबेथ ने ही राजा की हत्या की है और दूसरा कोई यह कार्य कर ही नहीं सकता।
लेकिन उसके डर से साफतौर पर कोई ऐसा नहीं कह पा रहा था।
एक रोज पहले मैकबेथ और उसको पत्नी ने राजा के सत्कार का जितना दिखावा किया था, उससे कहीं अधिक दिखावा शोक मनाने में किया।
उधर, पिता की मौत का समाचार पाकर दोनों राजकुमार भयभीत हो , राजधानी छोड़कर भाग खड़े हुए।
राज्य में अनेक बातें जन्म ले रही थीं, कोई कहता था कि राजा के पीछे जिस किसी के मरवाने का षड्यंत्र है, वो अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया तो कोई कहता था कि राजा के अपने ही पुत्रों ने उसे मरवा डाला इसलिए वो यहां से भाग निकले।
कुछ लोगों को अगले राजा की प्रतीक्षा थी कि अब देखो कौन खुशनसीब है, जो | राजगद्दी संभालेगा। कुछ लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि ताजपोशी का का भली प्रकार हो जाए क्योंकि अभी तक यह तय नहीं हो सका था कि अगला राजा कौन होगा और शायद नया शासन हमारे लिए इतना सुविधाजनक न हो , जितना पुराना शासन सुविधाजनक था।
मैकबेथ चूंकि सम्राट का निकट संबंधी भी था इसलिए दरबारियों ने उसे है राजसिंहासन पर बैठाकर राजा घोषित कर दिया।
इसी के साथ जादूगरनियों की वह भविष्यवाणी भी भूल नहीं पाया था
' किंतु तुम्हारे बाद बैंको की संतान राज्य की अधिकारी होगी।”
एक रोज मेकबेथ के पास बैंको आया और उसने बताया---'मैकबेथ, जादूगरनियों ने जो तुम्हारे लिए भविष्यवाणी की थी, कॉडर तथा ग्लेमिस का पदव राजद, , बे सब बातें सच हो गईं किंतु मुझे एक बात का संदेह है।
"संदेह !"
हां। मुझे इस बात का संदेह है कि राजमुकुट प्राप्त करने के लिए तुमने राजद्रोह किया है।'' उसने सख्त स्वर में कहा---'' परंतु यह भी याद रखना कि उनकी तीसरी भविष्यवाणी यह थी कि तुम्हारी औलाद यह राजमुकुट नहीं पहनेगी तथा मेरे वंशज कई पीढ़ियों तक राजमुकुट पहनते रहेंगे। मेकबेथ, यदि वे तुम्हारे विषय में सच्ची घोषण कर सकती हैं तो यह केसे हो सकता है कि मेरे विषय में कहे गए शब्द वरदान साबित हों और मेरा जीवन भविष्य की उम्मीदों से प्रफुल्लित न हो, लेकिन मुझे इस वक्त खामोश रहना चाहिए, अब मैं इस बारे में आगे कुछ नहीं कहूंगा।”' बैंको अपनी बात पूरी करके खामोश हो गया।
“बैंको, आज तुम हमारे अतिथि हो, अगर तुमको हम आमंत्रित करना भूल जाते तो हमारी दावत में बहुत बड़ी कमी महसूस होती तथा सभी कुछ अनुचित-सा लगता आज रात हम भोज दे रहे हैं और आपकी उपस्थिति का निवेदन करते हैं।'' मेकबेध ने गुजारिश की।
“महाराज, आपको केवल आज्ञा देने की आवश्यकता है। हमारे बीच दृढ़ संबंधों की वजह से मैं आपकी आज्ञा पालन के लिए कर्त्तव्यनिष्ठ हूं।'' बैंको ने उत्तर दिया।
“क्या तुम आज कहीं जा रहे हो?'' मैकबेथ ने पूछा।
“हां महाराज! “
यह तो बड़ी कठिन समस्या सामने आ गई। अगर आपको बाहर जाना न होता वे आज की सभा में हम आपकी सलाह लेते क्योंकि आपकी सलाह सदा गंभीर और लाभकारी होती है। अगर आप चाहो तो हम कल तक के लिए इस सभा को स्थगित कर सकते हैं।''
“इसकी जरूरत नहीं है महाराज! मैं रात तक यहां जरूर आ जाऊंगा। यदि मेरा घोड़ी तेज न दौड़ा तो हो सकता है कि एक-दो घंटे देर हो जाए।'' बैंको बोला। “ठीक है, लेकिन दावत के समय जरूर पहुंच जाना।''
“आप निश्चित रहें महाराज।!
“हां सुनो, एक बात और।'' मैकबेथ ने उसे रोकते हुए बताया---' सुनने में आया है कि हमारे सम्राट के दोनों पुत्र मैलकम ओर डोनलबेन इंग्लैंड और आयरलैंड में रह रहे हैं। उन्होंने अभी तक अपने अपराध को स्वीकार नहीं किया है। साथ ही हमारे खिलाफ झूठी अफवाहें भी वो प्रजा में फैला रहे हैं परंतु इस बारे में कल बात हो । अब तुम्हें आवश्यक काम से जाना है। क्या तुम्हारा पुत्र भी तुम्हारे साथ ही जा रहा हैं ?
“जी हां महाराज! अब हमें देर हो रही है तथा हम आज्ञा चाहते हैं।'” उसने इजाजत मांगी।
“ठीक है, आज्ञा है।'' मैकबेथ ने कहा। बैंको के जाने के बाद मैकबेथ के दिमाग में फिर वही बात उभरने लगी, जो जादूगरनियों ने भविष्यवाणी की थी।
तीसरी जादूगरनी के द्वारा कहा गया वाक्य रह-रहकर मैकबेथ के कानों में गूंज रहा था तथा इसी के साथ मैकबेथ के दिमाग में झंझावात-से उठ रहे थे---' राजा का कत्ल मैंने किया, राजकुमारों को भागने पर मजबूर मैंने किया। लोगों की दृष्टि में हत्यारा और घृणा का पात्र में बना, क्या यह सब इसलिए किया कि मेरे पश्चात बैंको की संतान इस राजसिंहासन पर बैठे और मेरी संतान नहीं ?'
है जब उसने अपनी पत्नी के सम्मुख यह बात-:रखी तो वह बोली---'' तुम अपने मार्ग के कांटे को हटा क्यों नहीं देते?!
मैकबेथ चौंक पड़ा----'' तुम्हारा मतलब है, एक खून और करूं? ”
“हां!” उसकी पत्नी बोली----' पहला खून तुमने अपने लिए किया तो क्या दूसरा खून अपनी औलाद के लिए नहीं कर सकते? क्या तुम यह बर्दाश्त कर सकते हो कि तुम्हारे पश्चात तुम्हारी संतान दर-दर की भीख मांगे?
और पत्नी की इस बात का जादू उस पर चल ही गया।
पत्नी की बात सुनकर उसके दिमाग में बैंको की हत्या का षड्यंत्र घूमने लगा। उसने खूब सोच-विचार कर यह फैसला किया कि उसकी हत्या स्वयं न करके किसी से करवाई जाए।
यही सोचकर उसने दो हत्यारों को बुलाया तथा उनके मस्तिष्क में यह बात अच्छी तरह जमा दी कि बैंको उनका शत्रु है। फिर वह हत्यारों से पूछता है-“तुम दोनों को इस बात का अब पक्का विश्वास हो गया कि बैंको ही तुम्हारा शत्रु है?
“जी हां महाराज !'' हत्यारे बोले।
“वह मेरा भी शत्रु है। मैं उससे इतनी नफरत करता हूं कि मेरे विचार से उसके जीवन का प्रत्येक पल मेरे प्रिय बच्चों के लिए खतरनाक है। राजा के रूप में में उसे प्रत्यक्ष रूप से भी मृत्युदंड दे सकता हूं तथा उसका उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले सकता हूं मगर कुछ ऐसे व्यक्तियों के कारण जो हम दोनों के समान रूप से दोस्त हैं, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। वास्तव में तो बैंको की मृत्यु पर मुझे आंसू भी बहाने होंगे, चाहे वह मेरे ही द्वारा मारा जाए। इसी कारण मुझे तुम्हारी मदद लेनी पड़ रही है। कुछ विशेष कारणों से यह आवश्यक है कि यह काम जनता से छिपा रहे।”” उसने कहा।
“महाराज, हम वैसा ही करेंगे जैसे आपने हमें हुक्म दिया है।'' दोनों हत्यारे एक साथ बोले।
“ठीक है, एक घंटे के पश्चात मैं तुम्हें बता दूंगा कि बैंको की प्रतीक्षा में तुम्हें कहां खड़ा होना है। उस काम को करने के लिए ठीक समय के बारे में गुप्त सूचना से में तुम्हें अवगत करा दूंगा। यह कार्य राजमहल से दूर रात के समय ही होना चाहिए और यह भी याद रखना होगा कि मेरे ऊपर कोई संदेह न आए। उस काम के अंजामस्वरूप हो सकने वाली परेशानियों ओर दोषों से छुटकारा पाने के लिए बैंको के पुत्र फलीएंस, जो उसके साथ होगा, उसको भी उसी वक्त मार डालना होगा। मेरे लिए उसका कत्ल भी बैंको के समान महत्त्वपूर्ण है। अब तुम लोग निश्चित कर लो, में अभी आता हूं।'' यह कहकर मैकबेथ चला गया।
थोड़ी देर बाद आकर मैकबेथ ने उन हत्यारों को सब कुछ समझाया और वह बैंको को मारने के लिए निकल पड़े। मार्ग में रुककर वह बैंको के आने का इंतजार करने लगे।
कुछ देर पश्चात ही थोड़ा अंधेरा छा गया। तीनों हत्यारे अपना-अपना स्थान ग्रहण करके बैंकों के आने की बाट देखने लगे। तभी उन्हें घोड़ों के पदचापों की आवाज सुनाई दी तथा वह उस पर टूट पड़े। इस हमले में बैंको तो मारा गया.किंतु फलीएंस बच निकला।
काफी कोशिश करने के पश्चात भी वो लोग बैंको के बेटे को नहीं पकड़ पाए। जब उनकी सारी चेष्टाएं नाकाम हो गईं तो वे वापस मैकबेथ की तरफ चल दिए ताकि उसे यह खबर दे सकें।
उधर मैकबेथ रात्रि भोज के लिए अतिथियों की आवभगत में लगा हुआ था। सभी लोग बहुत अधिक खुश थे। मैकबेथ की पत्नी ने भी उन सबका हार्दिक स्वागत किया था।
सभी लोग जिस वक्त शराब व भोजन का आनंद उठा रहे थे, तभी वहां एक हत्यारा आया।
मैकबेथ की नजर जैसे ही उस पर पड़ी, वह उसे एक ओर ले जाकर पूछने लगा----'' तुम्हारे चेहरे पर यह रक्त कैसा है? क्या तुम लोगों ने बैंको को मार डाला?'' मैकबेथ ने हैरानी से उस हत्यारे की तरफ देखते हुए पूछा। ''महाराज! मैंने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।”
' मैकबेथ प्रसन्न होकर कहने लगा---'' तुम सबसे अच्छे हो, मगर फिर भी जिसने फलीएंस को मारा, वह और भी अधिक अच्छा है। अगर तुमने ही वह दोनों काम किए हैं तो तुम्हारे बराबर कोई नहीं है।'
' हत्यारे ने डरते हुए बताया---'' महाराज, फलीएंस भाग गया है।''
“'क्या!'' वह चोंका।
“हां महाराज | हमने बहुत प्रयत्न किया उसे पकड़ने का, मगर वह किसी भी हालत में हमारे हाथ नहीं आया।'' हत्यारा निराशापूर्ण लहजे में बोला।
“यह तो बहुत बुरा हुआ। कहीं मेरे ऊपर कोई शक न हो जाए? तुमने उसको जीवित छोड़कर अच्छा नहीं किया।'' उसने डांटा।
“महाराज, हम विवश थे। वह बेंको पर हमला होते ही वहां से शीघ्रता से भाग निकला। काफी दूर तक हमने उसका पीछा किया परंतु नाकाम रहे।'” उसने सारी विवशता बयान की।
“मगर बैंको को तो समाप्त कर दिया?'' मैकबेथ ने आश्चर्य से उसकी ओर देखते हुए कहा।
जी महाराज, उसकी लाश वहां खाई में पड़ी है, आप चाहें तो तसल्ली कर लें।'' उसने विश्वास दिलाया।
“चलो ठीक है। यदि बैंको , बड़ा सांप, खाई में दफना दिया गया है और उसका पुत्र फलीएंस, छोटा सांप, भाग गया है। यह सांप इस समय चाहे खतरनाक न हो, लेकिन जल्दी ही जहरीला हो जाएगा। अब तुम जाओ। हम कल एकांत में तुम्हारी बात सुनेंगे।'' मेकबेथ ने कहा।
जो सभा प्रसन्नता के लिए बुलाई गई थी, बैंको की मौत के कारण वह शोक सभा में बदल गई। मैकबेथ ने दुखी होकर गहरी सांस ली तथा बोला--“ओह बेंको मेरे दोस्त! मुझे क्या पता कि तुम मुझे इतनी जल्दी साथ छोड़ जाओगे।”!
जिस वक्त मैकबेथ भरी सभा में बेंको का नाम ले-लेकर सय्यापा कर रहा था, उसी वक्त बैंको की आत्मा आकर कुर्सी पर बैठ गई। अपना रोना खत्म करके मैकबेथ ने जैसे ही बैठना चाहा।
भूत को सामने देखकर मैकबेथ का चेहरा पीला पड़ गया। शरीर जूड़ी के मरीज की तरह कांपने लगा।
सभा में बेठे सभी लोग, मैकबेथ की अचानक जो स्थिति हो गई थी, स्पष्ट देख रहे थे परंतु बैंको का भूत किसी को दिखाई न दे रहा था।
मैकबेथ सब लोगों को बैंको का भूत दिखाने की चेष्टा कर रहा था, लेकिन बैंको का भूत किसी 'को भी नजर नहीं आ रहा था। वह उंगली से इशारा करते हुए बोला----'' मेरी विनती है कि उस ओर ध्यान से देखो। तुम कैसे कह सकते हो कि वह कुछ नहीं है ?!'
फिर वह बैंको के भूत की तरफ देखते हुए बोला “यदि तुम अपना सिर हिला सकते हो तो मुझसे बात भी करो। ऐसा लगता है कि सारी कब्र तथा लाश गृह मुर्दो को अपने भीतर रखने में असमर्थ है। यदि ऐसा ही है तो उन्हें दफनाने से क्या रस चाहिए कि हम लाशों को खुला छोड़ दें और तब चीलों के पेट ही हमारी कब्र होंगे।
उसकी बातें सुनकर उसकी पत्नी ने डांटा---'' बड़े दुख की बात है कि तुमने अपनी बेवकूफी की बातों से अपना मनुष्यत्व खो दिया।
'' मेरी बात का विश्वास करो प्रिये, यह बात उतनी ही सच है, जितना कि मेरा यहां खड़ा होना।'' उसने अपनी पत्नी को विश्वास दिलाना चाहा।
''यह तुम्हारे लिए बड़ी लजा की बात है।'' उसकी पत्नी ने उसे डांटते हुए कहा।
"किंतु में क्या करूं, वह बार-बार आकर मेरी कुर्सी पर बैठ जाता है।'' उसने अपनी पत्नी से कहा। “
"कोन?''
"बैंको की आत्मा।''
उसकी पत्नी ने उसकी ऐसी स्थिति देखी तो वह समझ गई कि जरूर दाल में कुछ काला है इसलिए उसने मेकबेथ की तबीयत खराब होने का बहाना करके सभा स्थगित कर दी। उसने कहा--'' इन्हें अक्सर ऐसे दौरे पड़ते ही रहते हैं।''
फिर मैकबेथ ने सभा में आए व्यक्तियों से कहा---'' मैं भूल गया था कि मेरे अतियोग्य दोस्तो, मेंस इस व्यवहार पर आप आश्चर्य न करें, मुझे एक विलक्षण बीमारी है और जो आदमी मेरे निकट हैं, वे जानते हैं कि यह गंभीर नहीं है। आओ, आप सब प्रेम और अच्छे स्वास्थ्य के भागी हों। अब में अपना स्थान ग्रहण करता हूं। मेरा गिलास शराब से भर दो। यह मदिरापान मैं मौजूद सज्जनों व अपने प्रिय दोस्त बैंको के नाम पी रहा हूं, जिनकी अनुपस्थिति का मुझे शोक है।
'' यह कहकर राजा मैकबेथ ने जैसे ही वहां से जाना चाहा, बैंको का भूत फिर वहां प्रकट हो गया। उसे देखते ही मैकबेथ फिर चीखने लगा----'' यहां से चले जाओ, मुझे दिखाई मत दो।”
मैकबेथ की पत्नी उसे सहारा देकर भीतर ले गई और सभी लोगों से वहां से जाने की प्रार्थना करने लगी।
उस दिन के पश्चात बैंको की आत्मा ने सोते-जागते, उठते-बैठते उन पति-पत्नी को परेशान करना आरंभ कर दिया। अब मैकबेथ सम्राट जरूर बन गया था किंतु उसकी आत्मा पाप के बोझ से दब गई थी। वह हर वक्त डरा हुआ, चिंतित और व्याकुल रहने लगा था। उसे हर पल, हर घड़ी यह भी खाए जा रही थी कि कही जादूगरनियों की तीसरी भविष्यवाणी भी सच न हो जाए।
जब इसी फिक्र में घुलते-घुलते उसे काफी दिन हो गए तो उसने उन जादूगरनियों से मिलने की ठान ली और एक रोज उसी उजाड़ जंगल में वह जा पहुंचा।
अपनी जादुई ताकत से उन जादूगरनियों को उसके आने का पहले ही पता चल॑ चुका था। इस प्रकार वे भविष्य की जानकारी देने वाले जादू-टोनों की तैयारी में लग गईं। उस टोने-टोटके के सामान में सांप का फन, चमगादड़ के पंख, कुत्ते की जीभ, बिल्ली की आंखें, छिपकली की पूंछ, भेड़िए के दांत, हब्शी का जिगर, बकरे की दाढ़ी आदमी के बच्चे का खून और इसी प्रकार की दूसरी सैंकड़ों चीजें सम्मिलित थीं। ऐसे ही साजा-सामान की सहायता से वे प्रेतात्माओं का आह्वान करती थीं
तथा उनसे भूत, भविष्य तथा वर्तमान की बातें पूछा करती थीं। तभी वहां जादू की देवी प्रकट होकर बताती हैं--' ' बहुत बढ़िया ! मैं तुम्हारे प्रयत्नों की तारीफ करती हूं और मेरी घोषणा है कि तुम सभी लाभ की भागीदार होगी। अब परियों के समान गोल घेरा बना लो तथा शोरबे की प्रशंसा में गीत गाओ। अब किसी पर भी जादू-मंतर चलाया जा सकता है।''
तभी दूसरी जादूगरनी कहने लगी----'' मेरे अंगूठों में खुजलाहट हो रही है, जिससे यह अनुमान होता है कि कोई दुष्ट आदमी इधर आ रहा है। कोई भी आए, खोल दो।'' जिस वक्त मैकबेथ वहां पहुंचा, उस वक्त तक उनका टोना तैयार हो चुका था।
मैकबेथ वहां जाकर बोला---'' आधी रात में छुपकर काम करने वाली काली जादूगरनियों, तुम क्या कर रही हो ?'! सभी जादूगरनियां एक साथ कहने लगीं----' हम एक ऐसा काम कर रही हैं, जिसका बखान नहीं किया जा सकता।”'
“मैं तुम्हारे ज्ञान का आह्वान करता हूं, चाहे उसका स्रोत कुछ भी हो और कहता हूं कि मेरे सवालों का उत्तर दो।'” उसने कहा----' मैं विनती करता हूं कि तुम मेरे प्रश्नों का उत्तर दो, चाहे इसके लिए तुम्हें हवाओं को आजाद करना पड़े और वे चर्च की चोटियों से टकराएं, सागर की लहरें चाहे जहाजों और नाविकों के होश छीनकर उन्हें समाप्त कर डालें, हरी फसलें गिर जाएं और पेड़ उखड़ जाएं, किले जेलरों के सिर परगिर जाएं, भूमि की सारी धन-दौलत नष्ट हो जाए और यह सब चाहे तब तक चलता रहे जब तक खुद विनाश का देवता थक न जाए। किसी भी कीमत पर मुझे अपने सवालों के उत्तर चाहिए। '
पहली जादूगरनी ने कहा---'' तुम हमें संबोधित करो।''
दूसरी जादूगरनी ने कहा----' ' हमसे सवाल करो।'!
तीसरी जादूगरनी ने कहा---'' हमें बताओ कि तुम हमसे जवाब प्राप्त करना चाहते हो अथवा हमारे गुरुओं से।'' “गुरुओं से।'' मेकबेथ ने कहा, फिर पूछा----' ' कहां हैं वे? क्या मैं उन्हें देख सकता हू?”
सभी जादूगरनियां एक साथ कहने लगीं---'' हम अपने गुरुओं, चाहे बड़े हों या छोटे, सभी का आह्वान करती हैं कि वे आएं तथा प्रत्यक्ष रूप से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करें।
'' जैसे ही मेकबेथ ने अपनी इच्छा प्रकट की, वैसे ही उस टोने में से एक कटा हुआ सिर ऊपर उठा तथा बोला----' ' मैकबेथ ! पूछो क्या पूछना चाहते हो ?''
“मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मेरे जीते जी मुझे किसी से भय है ?''
“तुम्हें फाइफ के सरदार मैकडफ से होशियार रहने की आवश्यकता है।
आप बिल्कुल ठीक कहते हैं, मैकडफ मन ही मन मेरी उन्नति से ईर्ष्या करता है आर अवसर मिलने पर वह मुझे चोट पहुंचाने से नहीं चूकेगा।'' मैकबेथ शीघ्रता से बोला ॥
इतना सुनते ही वह कटा हुआ सिर गायब हो गया और उसका स्थान खून से लथपथ एक धड़ ने ले लिया। वह कहने लगा---'' पूछो मैकबेथ, कया पूछना चाहते हो?”
''मैं पूछना चाहता हूं कि मेरे प्राणों को और किस-किससे खतरा है?'' उसने अधीरता से कहा।
“तुम जैसे खूंखार को किसी से भय नहीं। मारो, काटो और राज करो।”
इतना कहकर वह धड़ भी गायब हो गया और उसका स्थान एक बच्चे ने ले लिया, जो पेड़ की हरी टहनियों से खेल रहा था। बच्चे ने कहा----'' ' मैकबेथ ! पूछो, क्या पूछना चाहते हो?!
“मेरे राज्य का अंत कब होगा? '' मैकबेथ ने उस बच्चे से डरते-डरते पूछा।
“जब तेरे विरुद्ध तेरे राज्य का जंगल उठ खड़ा होगा, तब त्तेरे राज्य का अंत होगा।'
“जंगल तो कभी नहीं उठा करता। भला कभी जंगल भी किसी के खिलाफ विद्रोह करता है?'' मेकबेथ को थोड़ी तसल्ली मिली तथा उसने अपने आपको तसल्ली देने वाला एक सवाल और किया----'' यानी मेरा राज्य अटल है। उसका अंत कभी नहीं हो सकता।!
बच्चे ने फिर वही उत्तर दिया---'' बशर्ते कि जंगल तेरे खिलाफ न उठ खड़ा हो।'
“ अच्छा ! एक बात ओर हे, जो काफी वक्त से मुझे परेशान कर रही है, अब में उसके विषय में पूछता हूं। मेरे बाद सिंहासन पर मेरी संतान बैठेगी या बैंको की संतान बैठेगी?!!
इतना सुनते ही बच्चा खिलखिलाकर हंसा तथा गायब हो गया।
उसके पश्चात राजाओं जैसी पोशाक पहने आठ छायाएं वहां प्रकट हुईं और एक-एक करके मैकबेथ के सामने से गुजरने लगीं। उनमें सबसे आगे बैंको की खून से लथपथ छाया थी, जो मुस्करा रही थी। अब मैकबेथ को समझते देर नहीं लगी कि सात छायाएं बैंको की उन संतानों की हैं, जो मेरे सिंहासन पर बैठेंगी।
देखते ही देखते वह आठों छायाएं गायब होती चली गईं।
इसी के साथ वे जादूगरनियां तथा उनका टोना-टोटका भी गायब हो गया।
मैकबेथ और ज्यादा दुखी हो उठा। उसके मन में जो गम और निराशा थी, वह ज्यों की त्यों बरकरार थी।
वह अपनी राजधानी में लौट आया।
इधर उसने राजधानी में पग रखा और उधर जादुई छायाओं की गुरुओं द्वारा की गई भविष्यवाणी सच सिद्ध होने लगी।
मैकबेथ के राजधानी लौटने से पूर्व ही फाइफ का सरदार वहां से फरार हो चुका था और उसने राजा दंकन के एक बेटे को साथ मिलाकर उसके नेतृत्व में एक भारी सेना का गठन करना शुरू कर दिया था। यह खबर पाते ही मैकबेथ के तनबदन में आग सी लग गई। यह जानकर वह इतना उत्तेजित हो गया कि नंगी तलवार हाथ में लेकर फाइफ के सरदार क घर जा पहुंचा तथा वहां जाकर उसने भयानक नरसंहार किया। उसकी पत्नी, बच्चों व रिश्तेदारों को चुन-चुनकर मृत्यु के घाट उतारा।
यहां तक कि फाइफ के सरदार से हमदर्दी रखने वालों को भी उसने नहीं बख्शा था। इस तरह ' मारो-काटो ओर राज करो ' की नीति अपनाकर मैकब्रेथ ने सोचा कि अपने सभी दुश्मनों का अंत कर देगा और जादुई छायाओं की भविष्यवाणी को सच नहीं होने लगा।
किंतु विधाता की कुछ और ही मर्जी थी। वह एक शत्रु का विनाश करता, दूसरी तरफ उसके सैकड़ों शत्रु बन जाते। उसके बढ़ते अत्याचारों के कारण उसके हितैषी सरदार भी उसके खिलाफ होकर शत्रुओं से जा मिले।
इसी बीच मैकबेथ को एक झटका और लगा। उसकी सबसे बड़ी हितैषी और सलाहकार पत्नी बीमार पड़ गई। कितने ही डाक्टर बदल दिए थे, लेकिन उसकी तबीयत ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी।
डॉक्टर ने उसकी पत्नी की नौकरानी से पूछा---'' मैंने तुम्हारे साथ रहकर दो दिन तक रानी के व्यवहार पर दृष्टि रखी है, परंतु ऐसा लगता है कि इनकी बीमारी तुम्हारी शिकायत के मुताबिक सत्य नहीं है। मुझे बताओ कि पिछली बार ऐसा कब हुआ, जब उन्होंने सोते-सोते चहलकदमी की ?
'' सेविका ने कहा “जब राजा को लड़ाई के मैदान में निवास करना पड़ा, मैंने देखा था कि रानी अपने बिस्तर से उठती हैं, अपना गाऊन पहन लेती हैं, अपनी अलमारी को खोलती हैं तथा तब उसे सील करके अपने बिस्तर पर लोट आती हैं। यह सब करते हुए वे पूरी तरह सोई हुई होती हैं।
' ' डॉक्टर कुछ सोचते हुए कहने लगा----'' सोते रहना तथा साथ ही साथ चीजों को देखना तथा कार्यशील होना, यह सब मस्तिष्क में गंभीर बेचैनी का द्योतक है, चहलकदमी व दूसरे कार्यों के अतिरिक्त नींद में ऐसी बेचैनी के समय आपने उन्हें क्या क्या कहते हुए सुना है?
“डॉक्टर, मैंने उन्हें ऐसे अलफाज बोलते हुए सुना है, जिनका संबंध उनसे नहीं जोड़ा जा सकता।''
डॉक्टर ने एक गहरी सांस लेकर कहा----'' यह तुम्हारे लिए उचित होगा, लेकिन तुम मुझे सब कुछ सही बता दो।'' सेविका डरते हुए कहने लगी---'नहीं, न तो मैं तुम्हें बता सकती हूं और न किसी और को क्योंकि जो कुछ मैंने सुना है, उसका साक्षी देने वाला दूसरा कोई नहीं है। देखो वे आ रही हैं।
'' मैकबेथ की पत्नी हाथ में मोमबत्ती लेकर इधर ही आ रही थी और इस वक्त वह नींद में थी।
यही उनका ढंग है और मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि वे इस समय पूरी तरह नींद में हैं।' '
'उन्हें यह मोमबत्ती कहां से मिली ?'' डॉक्टर चोंका।
नौकरानी ने बताया---'' वह उनके पास ही लगी थी। उनकी आज्ञानुसार एक मोमबत्ती उनके निकट ही जलती रहती है।''
'' देखो... उनकी आंखें तो खुली हैं।'' डॉक्टर ने दिखाया।
सेविका बोली----'' किंतु वे देख नहीं पातीं।'
'अब वे क्या कर रही हैं? देखो वे किस तरह अपने हाथों को मल रही हें? डॉक्टर पूछा।
“यह उनकी आदत है। वे हाथ साफ करती हुई दिखती हैं। कभी-कभी तो मैंने एक चौथाई घंटे तक उन्हें ऐसा करते हुए देखा है।'' सेविका ने डॉक्टर को बताया।
तभी मेकबेथ की पत्नी ने कहा----' ' इतना धोने के पश्चात भी मेरे हाथ पर अब भी खून लगा है।'
! “सुनो, वे कुछ बोल रही हैं। मैं उनके शब्दों को लिख लूंगा ताकि बाद में सारी बातें याद रहें।'' डॉक्टर ने कहा। मैकबेथ की पत्नी निरंतर बड़बड़ाए जा रही थी-----'' हे खून के धब्बे! मेरे हाथ से दूर हो जा, रात्रि के दो बजे हैं, अब मुझे अपने हाथ साफ कर लेने चाहिए। नर्क बड़ा भयानक होता है, मेरे स्वामी, बड़ी लज्जा की बात है कि तुम इतने बहादुर होकर भी डरते हो। कुछ भी हो, यह बड़ी हैरानी की बात है कि उस बूढ़े राजा दंकन के शरीर में इतना खून था।
' उसकी बात सुनकर डॉक्टर ने सेविका की तरफ देखते हुए पूछा----''' क्या तुमने इनके अलफाज सुनें?!
“जी हां...।' ' उसने कहा।
“तुम्हें वह सब राज पता चल चुका है, जो तुम्हें नहीं जानना चाहिए था।'' डॉक्टर ने सेविका की तरफ देखा।
सेविका ने कहा---'' मुझे विश्वास है कि इन्होंने वे सब राज बता दिए हैं, जो इन्हें नहीं बताने चाहिए थे। ईश्वर ही जाने इन्होंने क्या-क्या भयानक बातें देखी अथवा सुनी हैं ?
इतने में मैकबेथ की पत्नी फिर बड़बड़ाने लगी---'' मेरे हाथों में तो अभी तक खून की बदबू आ रही है। ऐसा लगता है कि अरब के सारे इत्र भी इन्हें सुगंधित नहीं कर सकते।”
' “यह कैसी दुख भरी आह है। लगता है इनका दिल दुखी तथा अशांत है।'' डॉक्टर एक लंबी सांस खींचकर कहने लगा।
मैकबेथ की पत्नी फिर बड़बड़ाती है---''' मेरे पति! अपने हाथों से रक्त के धब्बे प्वाफ कर लो तथा अपना गाऊन पहन लो। आपको किसी भी बात से डरना नहीं चाहिए, कत्ल के पश्चात बैंको को दफना दिया गया है।
'' डॉक्टर उसकी बातों को सुनकर हैरान हो गया और उसे प्रकट हो गया कि सारी की पारी हत्याएं मैकबेथ ने ही की हैं। वह एक लंबी सांस खींचते हुए बोला--'' हैरानी है कि बैंको का खून भी मेकबेथ ने ही किया है।'' कुछ देर पश्चात डॉक्टर वहां से चला गयी तथा मैकबेथ की पत्नी फिर से अपने बिस्तर पर लेट गई।
मैकबेथ के पूछने पर डाक्टर उसे बताने लगा, उसकी पतली शारीरिक रूप से ज्यादा बीमार नहीं है परंतु उनका मस्तिष्क डरावनी कल्पनाओं से परेशान है। यही कारण है कि वह आराम करने अथवा सोने में परेशान हैं।
उसकी बात सुनकर मैकबेथ बोला----''' तुम्हें चाहिए कि उनकी मानसिक परेशानियां दूर कर दो। क्या चिंतित दिमाग को ठीक करना अथवा स्मृति के गहरे दुख को निकालना तुम्हारे लिए मुमकिन नहीं है?''
“यह कार्य तो मरीज के अपने हाथों में है।'' डॉक्टर ने समझाया।
फिर एक रोज मैकबेथ को झटका लगा, उसकी सबसे बड़ी सलाहकार पत्नी उसे छोड़कर सदा के लिए इस संसार से विदा हो गई। उसकी मृत्यु के बाद मैकबेथ नितांत अकेला सा हो गया। उसकी हालत परकटे पक्षी जैसी हो गई, जो एक ही स्थान पर पड़ा पड़ा छटपटा तो सकता है, लेकिन कुछ कर नहीं सकता।
कुछ दिनों बाद ही वह अपने दो-चार बचे-खुचे सरदारों को लेकर राजधानी से भाग खड़ा हुआ। उसने स्कॉटलेंड के वन में स्थित एक पुराने किले में जाकर शरण ले ली।
विद्रोहियों के कानों तक भी उसके इस तरह भाग जाने की खबर पहुंच चुकी थी। वे तो पहले ही उसके खून के प्यासे थे। उसे घेरने के लिए वे वन में ही जा पहुंचे। फिर एक रोज उन्होंने उस किले पर धावा बोल दिया, जहां वह छिपा हुआ था।
किले की तरफ बढ़ते समय उन्होंने रास्तों में पेड़ों की बड़ी-बड़ी टहनियां तोड़ लीं तथा उनकी आड़ में छिपकर चलने लगे ताकि मैकबेथ के सैनिक उन्हें देख नहीं सकें।
जंगल के किले पर एक सिपाही खड़ा पहरा दे रहा था।
उसकी दृष्टि जंगल में पड़ी तो वह चोंका। उसे लगा मानो जंगल के हरे भरे वृक्ष अपने स्थान से चलकर किले की ओर बढ़ने लगे हों। वह तेजी से बुर्ज से उतरकर नीचे आया तथा हांफते हुए मैकबेथ की ओर भागा।
मैकबेथ उसकी तरफ देखते हुए बोला----'' हां कहो, क्या कहने आए हो? जो कहेना है जल्दी कहना।
“महाराज ! महाराज ! दुहाई है, बड़ा अनर्थ हो गया।'”' उसकी सांस फूल रही थी ।
“कैसा अनर्थ हो गया?'' मैकबेथ ने उसे डांट---'' क्यों इतनी जोर जोर से चिल्ला रहा है?''
“महाराज मैंने एक ऐसी विचित्र बात देखी है, जो मैं आपको बताना चाहता हूं परेतु मेरी समझ में नहीं आता कि जो मैंने देखा है, उसका वर्णन मैं किस प्रकार करूं?!
' “अच्छा बोलो।'' सैनिक बताने लगा----'' महाराज, स्कॉटलैंड का पूरा जंगल उठकर हमारे किले की तरफ आ रहा है।''
इतना सुनते ही मैकबेथ गुस्से से जल उठा। चीखकर बोला----'' अबे अक्ल के अंधे कहीं जंगल भी चलता है।'' “ आपकी सोगंध महाराज ! अगर विश्वास नहीं है तो आप स्वयं चलकर देख लें। में झूठ नहीं बोल रहा हूं।''
“ और यदि तेरी बात झूठ निकली तो तेरी चमड़ी कुत्तों से नुचवा दूंगा।”' उसने कहा।
“मेरी बात झूठ हो तो आप जो चाहे सजा दें। मेंने अपनी आंखों से देखा है कि पूरा जंगल किले की ओर बढ़ा चला आ रहा है।'' उसने उसे यकीन दिलाया।
“ठीक है, में तुम्हारे साथ चलता हूं। यदि तुम्हारी बात गलत हुई तो सबसे पास के वृक्ष परतुम्हें लटका दिया जाएगा ओर जब तक कि भूख तुम्हारी जान न ले ले, तुम वहीं रहोगे। इसके विपरीत अगर तुम्हारी बात सच निकली तो तुम भी मेरे साथ वेसा ही करने के लिए आजाद होगे।
'' मैकबेथ उसकी बात को सुनकर सोच में पड़ गया कि जो सिपाही इतने यकीन के साथ शपथ खाकर यह बात कह रहा है तो हो सकता है कि इसकी बात सच ही हो।
हो न हो, आज मेरे जीवन का आखरी. दिन है इसलिए तो यह असत्य-सी बात सत्य होने जा रहं है। जादूगरनियों की यह भविष्यवाणी भी सत्य सिद्ध होने जा रही है। उनकी आज तक की सभी भविष्यवाणियां सच सिद्ध हुई हैं और स्काटलैंड का जंगल भी आज मेरे विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है।
इतने में दरवाजा तोड़कर एक नवयुवक ने भीतर प्रवेश किया। मैकबेथ के सामने आकर कहने लगा--तुम्हारा नाम क्या है?!
' “मेरा नाम सुनकर तो तू डर जाएगा।' “यदि तुम नर्क के राक्षसों से भी डरावना कोई नाम लो तो भी मैं उससे डरने वाला नहीं हूं।
! “मेरा नाम तो मैकबेथ है।''
वह नवयुवक जोश के साथ कहने लगा---' शैतान के नाम से भी अधिक मैं इस ना से घृणा करता हूं।'
“नहीं, इसके विपरीत यह नाम तुम्हारे लिए भयानक साबित होगा।'' मैकबेथ अपनी तलवार खींचते हुए बोला।
दोनों में घमासान लड़ाई होने लगी। लड़ने वाला इंग्लैंड का राजा सिवार्ड था, बो दंकन के बेटे मैलकम के साथ वहां उसका अधिकार उसे वापस दिलाने आया था। मैलकम के देखते ही देखते मैकबेथ के कुछ सैनिक उसकी तरफ हो गए थे।
इसके साथ ही मैलकम की पूरी सेना किले में दाखिल हो गई। फौरन मैकबेथ को तीसरी भविष्यवाणी याद आई कि फाइफ के सरदार से सतर्क रहना। इस बात का ख्याल आते ही मेकबेथ ने उन पर वार किया मगर फाइफ के सरदार ने तेजी से अपने आपको बचा लिया तथा दोधारी तलवार से मेकबेथ का वध कर डाला।
इसी प्रकार तीसरी भविष्यवाणी भी सत्य हुई।
इसके पश्चात बैंको की आठ पीढ़ियों ने स्कॉटलैंड पर निष्कंटक राज्य किया।
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