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 shakespeare story in hindi -  A Miol Summer night's Dream

shakespeare story in hindi - A Miol Summer night's Dream



यह कहानी दौ जोड़ो की है , जो अपने  राज्य से भाग कर दूसरे राज्य मे जाने के लिए एक जगंल को पार करना  है । उनके साथ जगंल मे कुछ ऐसा होगा जो वह सोच नहीं सकते ।

नमस्कार दोस्तो आज की कहानी महान लेखक विलियम शेक्सपीयर की रचना "A Miol Summer night's Dream"  है 
तो कहानी को शुरू करते है ।

प्राचीन काल में एथेंस नगर में एक राजा राज करता था। उसने नगर में ढिंढोरा पिटवा रखा था कि युवा होने के बाद उसके राज्य में कोई भी लड़की कुंवारी न रहे। लड़की की इच्छा हो या न हो, मगर उसका पिता किसी भी वर के साथ जबरदस्ती उसका ब्याह रचा सकता है। 

इस विषय में यदि कोई लड़की अपने पिता की आज्ञा का उल्लंघन करे तो उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा। फांसी के डर से अधिकतर लड़कियां अपने पिताओं की इच्छानुसार विवाह करवा लिया करती थीं। अगर कोई
अपनी मर्जी से विवाह करवा भी लेती तो कोई भी पिता इसकी खबर राजा को नहीं देता था।

हां, एक दिन एक पिता, पहली बार अपनी फरियाद लेकर राजा के राजदरबार में आया और बोला—''महाराज ! मेरी एक इकलौती बेटी है, जिसका नाम हर्मिया है। मैंने उसे बहुत लाड़-प्यार से पाला-पोसा है और बड़ा किया है, मगर जब उसका विवाह करने का समय आया तो उसने मेरी इच्छा के मुताबिक विवाह करने से इनकार कर दिया। 

जिस युवक के हाथ में मैं उसे सौंपना चाहता हूं, उसे हर्मिया बिल्कुल नहीं चाहती तथा किसी अन्य युवक से प्यार करती है। महाराज ! मैं चाहता हूं कि आप ऐसी बेवफा लड़की को मौत की सजा देकर मेरे साथ अच्छा कार्य कीजिए।' यह सुनकर राजा ने हर्मिया को बुलाया तथा पिता को रुष्ट करने की उससे वजह पूछी। 

हर्मिया ने कहा- "महाराज ! मेरा पिता मेरा विवाह डीमिट्रियस नामक एक युवक के साथ करना चाहता है, मगर वह हेलेना नामक किसी और लड़की से प्रेम करता है। 

जब डीमिट्रियस मुझे चाहता नहीं तो भला मैं उससे कैसे विवाह कर सकती हूं? मैं विवाह करूंगी तो लाइसेंडर के साथ करूंगी, नहीं तो कुंवारी रहना अच्छा।"

दोनों की बात सुनकर राजा ने हर्मिया को एक बार फिर सोचने को कहा और इजाजत दी कि तीन दिन के अंदर वह डीमिट्रियस के साथ विवाह करने को तैयार हो जाए, नहीं तो चौथे दिन उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा।

यह आदेश सुनकर हर्मिया सीधे अपने साथी लाइसेंडर के पास पहुंची तथा उसने अपनी मुसीबत उसे कह सुनाई। बहुत सोच-विचार के पश्चात लाइसेंडर ने कहा- "मुझे एक ऐसा उपाय सूझा है, जिसके द्वारा हमारा-तुम्हारा विवाह भी हो सकेगा तथा तुम फांसी पर लटकने से भी बच जाओगी। इस नगर की हद से बाहर किसी दूसरे राजा का राज्य है। उसी राज्य में मेरी एक मौसी रहती है। अगर तुम आज सांझ होने से पहले-पहले अपने पिता की आंख बचाकर इस राज्य की हद के बाहर पहुंच जाओ तो मैं भी तुम्हें वहीं पर मिलूंगा। वहां से मैं तुम्हें अपनी मौसी के घर ले चलूंगा, जहां पर तुम अपनी मनमर्जी के अनुसार मेरे साथ विवाह कर सकोगी क्योंकि इस राजा के कायदे-कानून इसी के राज्य में माने जाते हैं। इसकी हद से बाहर नहीं।"

यह सलाह हर्मिया को बहुत अच्छी लगी और दोनों किसी तरह एथेंस नगर की सीमा के बाहर पहुंच गए। संयोगवश उसी दिन डीमिट्रियस भी अपनी पहली चहेती हेलेना के साथ वन-विहार के लिए उसी जंगल में गया हुआ था। एक ओर से हर्मिया तथा लाइसेंडर ने उस जंगल में प्रवेश किया और दूसरी ओर से हेलेना और डीमिट्रियस नोजिस तरफ से हेलेना और डीमिट्रियस जा रहे थे, उसी तरफ कुछ दूरी पर ओबेरोन नाम का परियों का एक राजा रहता था। 

परियों की रानी टिटैनिया उसकी पटरानी थी। किसी वजह से टिटैनिया अपने पति ओबेरोन से नाराज होकर कहीं दूर चली गई थी और महल में ओबेरोन अकेला ही था। घूमते-घामते हेलेना तथा डीमिट्रियस परियों के
इसी राजा के पास से गुजरे। 

वे थके हुए तो थे ही, परियों के राजा ने सोचा कि वे भी एक-दूसरे से रूठे हुए हैं। ओबेरोन ने मन ही मन परियों को याद किया पका नाम की एक परी उसके सामने हाजिर हो गई। यह परी लोगों को चिढ़ाने और उल्लू बनाने की
कला में बड़ी निपुण थी। 

प्राय: वह करीब के गांवों में जाती तथा ग्वालिनों के मटकों में मेंढक बनकर बैठ जाती। ज्यों ही ग्वालिने छाछ उलटाने के लिए मटके खोलती, वह पक परी जोर से टरटर्राती हुई मटके से बाहर निकल पड़ती। बेचारी ग्वालिने डरकर
मटके नीचे पकट देती तथा उनकी सारी छाछ बिखर जाती थी। 

कभी वह अदृश्य होकर राजदरबार में पहुंच जाती तथा जब वजीर लोग राजा के सत्कार के लिए खड़े होते तो
पक परी उन सबके पीछे से कुर्सियां सरका देती थी। बेचारे वजीर बैठने लगते तो धड़ाम से जमीन पर लुढ़क जाते। यह देखकर सारे दरबार में खिल्ली मच जाती तथा पक परी हंसती हुई जंगल को लौट आती।

आज भी हेलेना तथा डीमिट्रियस के साथ कुछ इसी प्रकार की हंसी करने का ख्याल परियों के राजा को सूझा। वह पक परी को हरे रंग की एक शीशी देते हुए बोला- "देखो पक, इसमें वशीकरण है। इस तेल में यह गुण है कि अगर किसी सोए हुए मनुष्य की दाई आंख पर लगा दिया जाए तो जागने पर वह जिसे भी सबसे पहले देखेगा, उसी पर फिदा हो जाएगा, चाहे वह गधा, घोड़ा या बंदर ही क्यों न हो।

लो यह वशीकरण तेल की शीशी अपने करीब रखो तथा देखो कि आज इस जंगल में डीमिट्रियस नाम का एक युवक अपनी चहेती के साथ आया हुआ है, मगर ऐसा लगता है कि वे दोनों एक-दूसरे से रूठे हुए हैं। डीमिट्रियस सुनहरे तथा हरे रंग के कपड़े पहने है। इस निशानी से तुम उसे अच्छी तरह पहचान सकोगी। यदि वह तुम्हें कहीं सोया हुआ मिल जाए तो इस तेल की एक बूंद उसके दाएं नेत्र पर लगा देना, मगर इसका ध्यान रहे  कि सोते हए उसकी चहेती हेलेना उसके पास ही हो ताकि नेत्र खुलने पर उसकी नजर सबसे पहले हेलेना पर ही पड़े।"

ये बातें सुनते हुए पक परी को शरारत सूझ रही थी, इसलिए अधूरी बात ही उसके दिमाग में आई। वह डीमिट्रियस व हेलेना की ओर जाने के बजाय उस ओर चली गई जिस ओर से हर्मिया तथा लाइसेंडर आ रहे थे। संयोगवश लाइसेंडर भी जड़ाऊ हरे कपड़े पहने हुए था इसीलिए उसे ही डीमिट्रियस समझकर पक परी ने सोते हुए
लाइसेंडर की सीधी आंख पर वशीकरण तेल की एक बूंद लगा दी और अदृश्य हो गई।

जंगल के दूसरे किनारे पर डीमिट्रियस तथा हेलेना किसी प्रकार आपस में बिछुड़ गए तथा दोनों एक-दूसरे की खोज करते हुए जंगल में टहलने लगे। घूमते-घूमते हेलेना उसी जगह आ पहुंची, जहां लाइसेंडर तथा हर्मिया सोए हुए थे। पत्तों के मर्मर के स्वर से लाइसेंडर चौंककर जाग उठा और उसने हड़बड़ाकर उस तरफ देखा, जिस ओर
से हेलेना आ रही थी। 

दोनों की आंखें चार होने की देर थी कि लाइसेंडर वशीकरण तेल के असर से हेलेना पर आसक्त हो गया और 'रूप सुंदरी, स्वर्ग की देवी, मेरे मन को रानी' जैसे हजारों संबोधनों से बुलाने लगा। 

इससे पहले वह हेलेना को उजड्ड तथा गंवार कहकर उसकी खिल्ली उड़ाया करता था तथा उसकी तुलना में अपनी हर्मिया के रूप की तारीफ करते-करते अघाता नहीं था किंतु आज वह हर्मिया के प्रेम को बिल्कुल भूल गया और उसके बदले हेलेना को अपनी प्रेयसी, प्रियतमा' और न जाने क्या-क्या खुशामद की बातें कहने लगा।

हेलेना ने सोचा कि वह उसका मखौल उड़ा रहा है इसलिए वह उसे निर्लज, बेशर्म तथा बातूनी कहकर वहां से खिसकने लगी किंतु ज्यों-ज्यों तेल का प्रभाव होता था, त्यों-त्यों लाइसेंडर का प्रेम हेलेना के लिए बढ़ता ही जाता था। उसकी गालियां भी उसे फूलों की पंखुड़ियों-सी लगने लगी थीं तथा वह उसके पीछे भागने लगा।

कुछ देर बाद जब हर्मिया की आंख खुली तो वह अपने आपको जंगल में अकेली देखकर बहुत डरी तथा 'सेंडर-सेंडर' पुकारती हुई इधर से उधर भागने लगी।

आसमान में छिपी पक परी ने यह सारा दृश्य देखा कि तेल का क्या प्रभाव हुआ है। इसकी सूचना देने के लिए वह परियों के राजा ओबेरोन के पास गई तथा बोली- "मालिक ! सचमुच आपके तेल ने खूब रंग जमाया। आपके कहे मुताबिक मैंने हरे कपड़ों वाले उस लड़के की आंख पर इसकी एक बूंद टपकाई तो वह अपनी चहेती को सोई छोड़कर एक दूसरी ही लड़की के प्रेम में अंधा हो गया और छाया की भांति उसके पीछे-पीछे भाग रहा है, मगर वह लड़की उसे बिल्कुल नहीं चाहती थी।

जब उसे गालियां सुनाती है तो उनकी बकझक सुनने में इतना मजा आता है, जितना कि ग्वालिनों को खिझाने में भी नहीं आता।"

यह सुनकर ओबेरोन बोला--"अरी पगली! कहीं तु गलती से किसी दूसरे व्यक्ति की आंख पर तो तेल नहीं चुपड़ आई। तेरी बातों से मुझे ऐसा ही लगता है। मैं तो रूठे मियां-बीवी को मनाने की कोशिश कर रहा था, तूने उल्टे एक जोड़ी को भी एक-दूसरे से अलग कर दिया। 

तेरी बातों से मुझे लगता है कि आज इस जंगल में एक पति-पत्नी नहीं, अपितु दो आए हुए हैं और शायद दोनों की पोशाक भी एक सी है। अब जा और इस बात का ख्याल रख कि मैं जिन रूठे हुए मियां बीवी में सुलह " करवाना चाहता हूं, उनमें लड़के का नाम डीमिट्रियस और लड़की का नाम हेलेना है। जा झटपट उन दोनों में प्रेम करवाकर आ।

यह सुनते ही पक परी वहां से गई तथा सोया हुआ डीमिट्रियस की आंख पर तेल की बूंद लगा आई।पक परी ने जैसा कि पहले ही अनुमान लगा लिया था, वैसा ही हुआ।

उधर आगे-आगे हेलेना, उसके पीछे-पीछे लाइसेंडर तथा लाइसेंडर के पीछे-पीछे भागती हुई हर्मिया। वे तीनों भी उसी जगह पर आ पहुंचे, जहां डीमिट्रियस डीमिट्रियस की आंख खुलते ही सबसे पहले उसकी नजर हेलेना पर पड़ी थी। 

हेलेना उसकी चहेती तो शुरू से ही थी, अब तेल के असर से वह उसे पहले से भी हजार गुना अधिक सुंदर दिखाई देने लगी। उसने चिल्लाते हुए उससे कहा- "प्रिय हेलेना! तुम कहां गुम हो गई थीं? तुम्हें ढूंढ़ते-ढूंढ़ते मेरे पैरों में छाले पड़ गए। तुम्हारे विरह में मैंने एक-एक मिनट बरस के समान बिताई है। वाकई आज तुम मुझे कितनी सुंदर लग रही हो।" 

यह कहता हुआ वह भी पागलों की भांति हेलेना की ओर भागा। हेलेना अब तक समझती थी कि डीमिट्रियस एक सभ्य मनुष्य है और इसी गुण कारण वह उसे प्यार करती थी, मगर आज उसे भी पागलों-सी ढिठाई करते देखकर
वह समझ न सकी कि आज इन व्यक्तियों को हो क्या गया है। लाइसेंडर ने आज तक मुझे घृणा की नजर से देखा है, मगर आज मुझे परियों से भी सुंदर और पंखुड़ियों से भी कोमल बता रहा है। उसकी बात जाने दो, मेरा अपना डीमिट्रियस ही आज मेरा मजाक उड़ाने पर तुल गया है। हो न हो, दाल में कुछ काला जरूर है।
अभी हेलेना यह सोच रही थी कि उसकी नजर दूर से आती हुई हर्मिया पर पड़ी।

हेलेना को लगा, हो न हो इसी रांड ने इन दोनों को अपने पक्ष में करके मुझे तंग करने के लिए मेरे पीछे लगाया है। यह सोचकर वह हर्मिया की तरफ लपकी तथा उसकी चुटिया पकड़कर उसे घसीटने लगी। उधर हर्मिया ने समझा कि इसी डायन ने मेरे लाइसेंडर को बहकाकर अपने पीछे लगाया है, इसलिए वह मेरी बैरिन है। वह भी हेलेना
की चुटिया पकड़कर उसके बाल नोचने लगी थी। 

उन्हें लड़ता देखर आसमान में छिपी पक परी अपनी हंसी न रोक सकी तथा 'हा-हा' करके हंस पड़ी।
डीमिट्रियस पहले ही लाइसेंडर पर इसी बात से चिढ़ा हुआ था कि हेलेना की चिढ़ाने के लिए हंस रहा है। उसने आव देखा न ताव और तलवार लेकर लाइसेंडर पर बेइज्जती क्यों की। अब हंसी की आवाज सुनकर उसने सोचा कि लाइसेंडर ही उसे झपट पड़ा। लाइसेंडर ने भी तलवार खींच ली और दोनों लड़ते हुए वहां से काफी दूर निकल गए।

इस तरह दोनों ओर महाभारत मचाकर पक परी हंसती, खिलखिलाती हुई अपने राजा ओबेरोन के पास पहुंची तथा हंसी का ठहाका लगाकर बोली-"मालिक! बटेरों तथा बटेरनियों की छीना-झपटी देखनी हो तो झटपट चलो, नहीं तो फिर देखने को न  मिलेगी।"

जब ओबेरोन ने पूरी कहानी सुनी तो उसे अपनी गलती पर काफी पश्चाताप हुआ। उसकी एक भूल के कारण दो सुखी युगल विपत्ति में पड़ गए। तब उसे अपनी हालत भी याद हो आई कि किस तरह उसकी अपनी रानी टिटैनिया भी उससे रूठकर चली गई तथा उसके बिना वह कितना उदास बैठा है।

उसने उसी वक्त पक परी को आज्ञा दी-"पक! अब इन शरारतों को छोड़ो तथा जो काम मैं कहता हूं, वह अभी करके आओ। जिन दो युवकों को तुम लड़ते छोड़कर आई हो, उनमें एक का नाम लाइसेंडर तथा दूसरे का नाम डीमिट्रियस है। 

इनमें डीमिट्रियस हेलेना नाम को उस लड़की से प्यार करता है, जिसके प्यार में तुमने डीमिट्रियस तथा लाइसेंडर दोनों को अंधा बना दिया है। दूसरी लड़की लाइसेंडर को चाहती है और उसका नाम हर्मिया है। तुम झटपट जाओ, आसमान में अदृश्य होकर ऐसा संगीत आरंभ करो कि उसकी मस्ती में दोनों युवक और दोनों युवतियां झूम उठे
तथा अपनी लड़ाई भूलकर तुम्हारे संगीत के पीछे भागने लगे।तब उन्हें भगाते-भगाते इतना दौड़ाओ कि वे थककर सो जाएं। पहली बार तुमने डीमिट्रियस तथा लाइसेंडर की दाई आंख पर वशीकरण तेल की बूंदें टपका दी थीं। अब की बार तुम उनकी उल्टी आंख पर एक-एक बूंद टपका देना। इससे उन पर छाए हुए तेल के वशीकरण जादू
का प्रभाव जाता रहेगा और वे पहले की भांति अपनी-अपनी चहेती को चाहने लगेंगे।

 जा तू, झटपट जाकर यह कार्य कर, तब तक मैं अपनी रूठी टिटैनिया को मनाने जाता यह कहकर परियों का राजा अपनी रानी के महल की तरफ चला गया। महल के बगीचे में एक काफी बड़ा सदाबहार का पेड़ था, जिस पर सुनहरे रंग का एक झूला पड़ा हुआ था। 
इसी झूले में परियों की रानी टिटैनिया लेटी हुई थी तथा दूसरी परियां उसे
सुलाने के लिए लोरियां गा रही थीं-
"सो जा, परियों की रानी, सो जा,
ओबेरोन राजा की पटरानी, सो जा।
सो जा, इस झूले अपने में,
रूठे पिया मिले सपने में।"
जब तक परियां लोरी गाती रहीं, ओबेरोन अदृश्य रूप ग्रहण कर एक गुलाबी फूल की पंखुड़ियों पर बैठा सुनता रहा। जब झूले में टिटैनिया सो तो ओबेरोन ने उसकी सीधी आंख पर उसी वशीकरण तेल की एक बूंद टपका दी। उसी वक्त परलोक का एक शेखचिल्ली सारा दिन घूम-घामकर उसी सदाबहार के पेड़ की एक शाखा पर
आकर सो गया। 

ओबेरोन ने शेखचिल्ली के असली सिर पर गधे का सिर लगा दिया तथा ऐसा प्रबंध किया कि आंख खुलने पर टिटैनिया की निगाह सबसे पहले इसी शेखचिल्ली पर पड़े।

कुछ देर बाद जब टिटैनिया जागी तो उसने एक शाखा पर सोए हुए शेखचिल्ली को सबसे पहले देखा। तेल के असर से वह उसी पर फिदा हो गई और दूसरी परियों को कहने लगी-"आह ! पता नहीं स्वर्ग से कौन-सा देवता उतरकर उस शाखा पर सो गया है। देखो! उसका सिर तथा उसके कान कितने सुंदर हैं। ऐसा सुंदर लड़का तो मैंने
परलोक में भी कभी नहीं देखा।" टिटैनिया के मुंह से गधे के सिर के लिए ऐसी बातें सुनकर हंसी के मारे ओबेरोन लोट-पोट हो रहा था, मगर वह अदृश्य था इसलिए रानी को कुछ पता नहीं चला।

ज्यों-ज्यों तेल का असर अधिक होता जाता था, रानी को शेखचिल्ली की शक्ल और भी ज्यादा सुंदर दिखाई देती जा रही थी। अब थोड़ी देर बाद शेखचिल्ली आया तथा गधे के लहजे में उसने 'चू- चू' गाया तो टिटैनिया खुशी से नाच उठी और बोली_"वाह ! ऐसा मीठा लहजा तो मैंने आज तक कभी नहीं सुना। 
वाकई जितना सुंदर इसका रूप है, उतना ही सुंदर इसका स्वर भी है। जाओ परियो! उस सुंदर लड़के
चलकर उसे अपने शुभ दर्शन दो।"
 आदर के साथ जाकर कहो कि परियों की रानी तुम्हारे प्रेम में पागल हो रही है। तुम यह सुनकर दासी परियां एक निगाह से गधे के सिर वाले शेखचिल्ली की तरफ देखती और दूसरी नजर से रानी की ओर देखकर मन ही मन हंसती कि आज रानी को क्या हो गया है, मगर उसके डर के मारे मुंह से कुछ न कहतीं। आखिर वे जाकर
शेखचिल्ली को बुला लाईं। 

रानी ने शेखचिल्ली के गधे के सिर को चूमकर अपनी गोद में रख लिया तथा उस पर अपना प्रेम प्रकट करने लगी।
जादू के असर से शेखचिल्ली को कुछ पता न था कि उसके सिर के ऊपर किसका
सिर लगा हुआ है। 

उसका दिमाग तथा उसकी भूख भी अब गधे जैसी हो गई थी। रानी उससे बोली- "हे सुंदर लड़के! तुम्हें भूख लगी होगी। आज्ञा करो कि मेरी दासियां तुम्हारे लिए कौन-सा भोजन उपस्थित करें?"
शेखचिल्ली हिनहिनाकर बोला—"मुझे पांच सेर भूसा और तीन सेर चने की दाल चाहिए। बस इतने से ही मेरा पेट भर जाएगा।" परियां उसी वक्त जाकर भूसा और चने ले आई। 
अब रानी ने पूछा- "ऐ सुंदर लड़के ! तुम कौन-से वस्त्र पहनना पसंद करोगे, रेशमी अथवा सूती?"
शेखचिल्ली का दिमाग तो गधे का दिमाग बन ही चुका था। 
उसने खुश होकर कहा-"मुझे तो बोरी के वस्त्र चाहिए।'
परियां झटपट बोरी के वस्त्र उठा लाईं और जब उसे पहनाने लगी तो उसने पहले खरहरा लेकर मेरी पीठ खुजलाओ फिर मैं वस्त्र पहनूंगा।"

बेचारी परियों ने कभी ऐसी चीजों को हाथ तक लगाकर न देखा था, मगर आज उन्हें गधे शेखचिल्ली की कमर पर खरहरे से खाज मिटानी पड़ी। थोड़ी देर तक खरहरा चलाने के पश्चात शेखचिल्ली को नींद आ गई और वह रानी की गोद में सिर रखकर कहा- सो गया तथा जोर-जोर से पुकारें मारने लगा। 

ठीक उसी वक्त ओबेरोन ने मौका देखकर उस तेल की एक बूंद रानी की उल्टी आंख पर लगा दी, जिससे शेखचिल्ली के लिए उसके प्यार का सारा का सारा नशा दूर हो गया और अब उसे सचमुच गधे का सिर
दिखाई देने लगा था।

इसी समय आबेरोन हाजिर होकर टिटैनिया के सामने खड़ा हो गया और खिलखिलाकर बोला-"क्यों जी पटरानी ! मुझसे रूठकर किससे प्रेम किया जा रहा है? यह सुनकर बेचारी टिटैनिया शर्म के मारे पानी-पानी हो गई और गधे के सिर को लात मारकर चुप ही रही।

ओबेरोन मुस्कराते हुए बोला-"फिर तो कभी मुझसे रूठने का नाम न लोगी? आज से कभी न रूठने की कसम उठाओ तो मैं तुम्हें एक चुटकला सुनाता हूं।" टिटैनिया ने अपने दोनों कानों को छूकर तथा ओबेरोन के पांवों को पकड़कर उससे माफी मांगी। 

जब आबेरोन ने उसे वशीकरण तेल के असर और गधे के सिर की कहानी सुनाई तो क्या राजा, क्या परियां तथा क्या टिटैनिया सब मारे हंसी के लोटपोट होने लगे।

इस वक्त तक पक परी भी अपना काम पूरा करके लौटी और चारों प्रेमियों को अपने साथ लेती आई। राजा ओबेरोन ने उन चारों को अपने यहां निमंत्रित किया तथा उनके दिल बहलाव के लिए बड़ी देर तक गाना-बजाना और खाना-पीना होता रहा। जब एक ओर हर्मिया और लाइसेंडर तथा दूसरी तरफ हेलेना और डीमिट्रियस
हंसते-मुस्कराते हुए वहां से गए तो वे यही सोच रहे थे, जैसे उन्होंने आधी रात का कोई सपना देख लिया हो ।

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